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अमेरिका और सऊदी अरब वार्ता में ग़ाज़ा, लेबनान और सीरिया के पीड़ितों की अनदेखी

अमेरिका और सऊदी अरब वार्ता में ग़ाज़ा, लेबनान और सीरिया के पीड़ितों की अनदेखी

अमेरिका और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुई एक अहम टेलीफोनिक बातचीत में ग़ाज़ा, लेबनान, सीरिया और क्षेत्रीय रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान के बीच इस बातचीत में मानवीय संकट और पीड़ितों की सहायता की बजाय रणनीतिक और राजनीतिक हितों पर जोर दिया गया।

ग़ाज़ा पर चर्चा, लेकिन पीड़ितों की मदद पर चुप्पी
इस वार्ता में ग़ाज़ा में भविष्य की योजनाओं पर तो चर्चा हुई, लेकिन वहां के पीड़ितों को राहत देने या इज़रायली बमबारी  पर कोई बात नहीं हुई। ग़ाज़ा में हजारों निर्दोष नागरिक, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, इज़रायली हमलों का शिकार हुए हैं, लेकिन इस बातचीत में सऊदी अरब ने ग़ाज़ा के लोगों के समर्थन या उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी।

सीरिया में सऊदी की संदिग्ध भूमिका
यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब सऊदी विदेश मंत्री हाल ही में सीरिया का दौरा कर चुके हैं और वहां उन्होंने विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-जूलानी से मुलाकात की। सीरिया, जो वर्षों से संघर्ष और विनाश का शिकार है, वहां के आम नागरिकों को राहत पहुंचाने या पुनर्निर्माण कार्यों में सहयोग की बजाय सऊदी अरब की प्राथमिकता केवल रणनीतिक गठजोड़ बनाने और अपने प्रभाव को बढ़ाने तक सीमित रही।

लेबनान में युद्ध-विराम पर चर्चा, लेकिन कोई ठोस समर्थन नहीं
लेबनान, जो लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, वहां युद्ध-विराम को लेकर चर्चा जरूर हुई, लेकिन सऊदी अरब ने लेबनान की जनता की मदद के लिए कोई ठोस कदम उठाने की बात नहीं की।

यमन पर चर्चा, लेकिन अमेरिका गठबंधन के हमलों पर सवाल नहीं
बातचीत में यमन में अमेरिका गठबंधन द्वारा की जा रही सैन्य कार्रवाई और वहां के निर्दोष नागरिकों पर हो रहे हमलों पर कोई सवाल नहीं उठाया गया। इसके बजाय, अमेरिका और सऊदी अरब ने लाल सागर में इज़रायली जहाजों की सुरक्षा और नौवहन स्वतंत्रता जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया, जो यह दर्शाता है कि उनकी प्राथमिकता मानवीय संकट की जगह अपने भू-राजनीतिक हितों की रक्षा करना है।

इस बातचीत से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका और सऊदी अरब की प्राथमिकता ग़ाज़ा, लेबनान और सीरिया के पीड़ितों की सहायता करना नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक और सैन्य हितों को आगे बढ़ाना है। सऊदी अरब, जो खुद को इस्लामी दुनिया के नेता के रूप में प्रस्तुत करता है, ग़ा]ज़ा, लेबनान और सीरिया के संघर्षग्रस्त नागरिकों की वास्तविक मदद करने की बजाय केवल कूटनीतिक और रणनीतिक गठबंधनों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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