ISCPress

ग़ज़्ज़ा में इज़रायल के अत्याचार पर यूएन में वीटो का खेल चल रहा

ग़ज़्ज़ा में इज़रायल के अत्याचार पर यूएन में वीटो का खेल चल रहा

इज़रायल के लगातार हमलों से ग़ज़्ज़ा तबाह हो गया है। एक तरफ निर्दोष नागरिकों की मौतें बढ़ रही हैं तो दूसरी तरफ रिहायशी इलाके खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। फ़िलिस्तीन में 8 अक्टूबर के बाद से इज़रायली बमबारी में बड़े पैमाने पर जनहानि हुई है। अव्यवस्था और हंगामे के कारण शवों की पहचान में देरी हो रही है और शवगृह के अधिकारी और प्रबंधन परिजनों के आने तक शवों को रखने के लिए चिंतित हैं। स्थिति यह है कि कई अस्पतालों में मुर्दाघर भर जाने के कारण इन अस्पतालों के बाहर अस्थायी तंबू लगाए गए हैं, जहां शवों को रखा जाता है।

अल जजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक संसाधनों की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां मृतकों के शवों को सुरक्षित रखने के लिए आइसक्रीम ट्रक का इस्तेमाल किया जा रहा है। अल-शिफ़ा अस्पताल के डॉ. यासिर अली ने ऐसे ही एक ट्रक का दरवाज़ा खोला और अल जज़ीरा संवाददाता को बताया। जिसमें कई लाशें कफन में लिपटी हुई थीं। उन्होंने कहा, ”अस्पताल में दिन-ब-दिन शव बढ़ते जा रहे हैं, हमारे पास उन्हें सुरक्षित रखने की जगह नहीं है। हमें बर्फ फैक्ट्री से ये ट्रक मंगवाने पड़े और अब इनमें शव रखने की भी जगह नहीं बची है। कई जगहों पर तो एक-एक टेंट में 20 से 30 शव रखे गए हैं।

उन्होंने यह भी कहा, “इनमें से अधिकतर ट्रकों में ऐसे शव हैं जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। इज़रायली हमले में इन मृतकों के शव क्षत-विक्षत हो गए हैं, उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। हम जल्द से जल्द उनकी पहचान करने और उन्हें ठीक से दफनाने की कोशिश कर रहे हैं।” डॉ. अली ने बेबसी से कहा कि “गाजा सबसे खराब आपदा का सामना कर रहा है, अगर यह युद्ध जारी रहा, तो हम मृतकों को दफन नहीं कर पाएंगे।

अल जज़ीरा की अल-शिफा अस्पताल पर आधारित डॉक्यूमेंट्री में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-क़दरा ने कहा कि “ग़ज़्ज़ा के सभी अस्पतालों में क्षमता से अधिक घायलों का इलाज किया जा रहा है, शहीदों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। मुर्दाघर शवों से भरे पड़े हैं। इन सबके बीच इज़रायल के अत्याचार पर पूरी दुनियां मूक दर्शक बनी हुई है। मीडिया पक्षपात से काम लेते हुए इज़रायल के हमलों को इस तरह दिखा रहा है जैसे इज़रायल हमास के नाम पर, बेक़सूर औरतों, बच्चों, और आम नागरिकों का क़त्ले आम करके कोई बड़ा कारनामा अंजाम दे रहा है।

इज़रायल के इस अत्याचार और मनमानी पर पूरी दुनियां ख़ामोश तमाशाई बनी हुई है। इज़रायल के अत्याचार के सामने इस्लामिक देश ख़ामोश बैठे हैं। ऐसा लगता है जैसे इज़रायल के अत्याचार के सामने सब बेबस हैं, जबकि अमेरिका सहित तमाम यूरोपीय देश खुलकर इज़रायल का समर्थन कर रहे हैं। यूएन में जंगबंदी के नाम पर वीटो का नाटक चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा, “इनमें से अधिकतर ट्रकों में ऐसे शव हैं जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। इज़रायली हमले में इन मृतकों के शव क्षत-विक्षत हो गए हैं, उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। हम जल्द से जल्द उनकी पहचान करने और उन्हें ठीक से दफनाने की कोशिश कर रहे हैं।”

डॉ. अली ने बेबसी से कहा कि “गाजा सबसे खराब आपदा का सामना कर रहा है, अगर यह युद्ध जारी रहा, तो हम मृतकों को दफन नहीं कर पाएंगे। अल जज़ीरा की अल-शिफा अस्पताल पर आधारित डॉक्यूमेंट्री में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ अल-क़दरा ने कहा कि “ग़ज़्ज़ा के सभी अस्पतालों में क्षमता से अधिक घायलों का इलाज किया जा रहा है, शहीदों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।” मुर्दाघर शवों से भरे पड़े हैं।

ग़ज़्ज़ा पट्टी में युद्ध-विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए रूस और चीन के प्रस्ताव पर अमेरिका अपना प्रस्ताव लाया जो वीटो हो गया और सारे प्रस्ताव धराशायी हो गए। अमेरिका का प्रस्ताव इजराइल के समर्थन में था। अमेरिकी संसद भी पूरी तरह से इजराइल के समर्थन में खड़ी है। इससे पहले भी संयुक्त राष्ट्र में कई प्रस्ताव लाए गए लेकिन उन प्रस्तावों को अमेरिका ने वीटो कर दिया। उनमें युद्ध रोकने की बात कही गई थी।

बहरहाल, अब शुक्रवार 27 अक्टूबर का इंतजार है। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को अरब देशों के एक प्रस्ताव पर मतदान होगा, जिसमें युद्धविराम का आह्वान किया गया है। लेकिन अमेरिका और इज़रायल की पैंतरेबाजी से यह प्रस्ताव भी गिर सकता है।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

Exit mobile version