अमेरिका की इज़रायल को 4 अरब डॉलर की ‘आपातकालीन’ सैन्य सहायता
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने घोषणा की है कि, उन्होंने एक विशेष आपातकालीन अधिकार का उपयोग करते हुए इज़रायल को 4 अरब डॉलर की सैन्य सहायता भेजने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं।रूबियो के इस बयान से यह साफ़ हो जाता है कि अमेरिकी प्रशासन, विशेष रूप से रिपब्लिकन नेतृत्व, इज़रायल को निरंतर समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, उन्होंने बाइडेन प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि, डेमोक्रेट सरकार ने इज़रायल पर “आंशिक सैन्य प्रतिबंध” लगाए थे, जिसे अब हटा लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा अमेरिकी सरकार के इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि व्हाइट हाउस में ट्रंप से बड़ा कोई सहयोगी इज़रायल के लिए नहीं रहा है।
ट्रंप प्रशासन और इज़रायल के मजबूत संबंध
रूबियो ने यह भी खुलासा किया कि जब से डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आए हैं, उनकी सरकार ने इज़रायल को लगभग 12 अरब डॉलर के विदेशी हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी है। यह दर्शाता है कि ट्रंप प्रशासन ने न केवल इज़रायल को हथियारों की आपूर्ति बढ़ाई, बल्कि उसे अपने सैन्य अभियानों के लिए व्यापक समर्थन भी दिया।
अमेरिका और इज़रायल की सुरक्षा नीतियां
अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी इस संदर्भ में कहा कि इज़रायल विभिन्न मोर्चों पर ईरान और उसके समर्थक गुटों के खिलाफ एक ‘अस्तित्व की लड़ाई’ लड़ रहा है। रूबियो ने आगे कहा कि ट्रंप प्रशासन इज़रायल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव उपाय करेगा। इसमें सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर सहयोग शामिल होगा। उन्होंने यह दावा किया कि ईरान और उसकी प्रॉक्सी मिलिशियाएं (हिज़्बुल्लाह, हमास, हूती ) इज़रायल की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई हैं।
अमेरिका के इन आरोपों का ईरान बहुत पहले ही खंडन कर चुका है। ईरान के सुप्रीम लीडर ने कई बार कहा है कि, हिज़्बुल्लाह, हमास, हूती ये हमारी प्रॉक्सी नहीं हैं। ये सब वो प्रतिरोध समूह हैं जो अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्री ने इज़रायल जो पूरे मिडिल ईस्ट की सुरक्षा के लिए ख़तरा बना हुआ है, उस पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया। यहां तक कि, लेबनान में इज़रायल द्वारा किए गए कायराना पेजर हमले पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पेजर ब्लास्ट वह आतंकी हमला था जिसमें हिज़्बुल्लाह के बहुत से जवान शहीद हुए थे जबकि अनेक जवान घायल हुए थे।