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अमेरिका की ओर से यमन की नाकाबंदी जघन्य युद्ध अपराध

अमेरिका की ओर से यमन की नाकाबंदी जघन्य युद्ध अपराध यमनी सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष मेहदी अल-मशत ने मंगलवार शाम देश में संयुक्त राष्ट्र के समन्वयक विलियम डेविड ग्रिस्ले की मेजबानी की।

अमेरिका की ओर से यमन की नाकाबंदी जघन्य युद्ध अपराध है  जिसने 25 मिलियन से अधिक यमनियों के जीवन को बर्बाद कर दिया है। मेहदी अल-मशत ने जोर देकर कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रामक गठबंधन के देशों ने अतीत में संयुक्त राष्ट्र के पूर्व दूत की गतिविधियों को विफल करने की कोशिश की है और नए दूत के संबंध में उसी मुद्दे को दोहराने की कोशिश कर रहे हैं।

यमनी अधिकारी ने संयुक्त राष्ट्र से यमन की घेराबंदी हटाने और तेल उत्पादों को अल-हुदैदाह के बंदरगाह में प्रवेश करने की अनुमति देने के लिए आक्रामक सऊदी-अमीराती गठबंधन के देशों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका पर दबाव बनाने का आह्वान किया।

यमनी विदेश मंत्रालय ने सोमवार शाम को जोर देकर कहा कि यमन में शांति हासिल करने की कोशिश कर रहे संयुक्त राज्य अमेरिका के मनगढ़ंत उपद्रव और झूठे दावे संयुक्त राज्य और अन्य देशों की जनता की राय को धोखा देने का एक हताश प्रयास है। यमनी संगठन ने एक बयान जारी कर जोर देकर कहा कि कई अमेरिकी अधिकारियों के बयान दोहरे मानकों पर आधारित हैं।

साल 2015 में शुरू हुए यमन में अमेरिका द्वारा समर्थित सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन की नाकेबंदी से 16 मिलियन से अधिक लोगों के प्रभावित होने का अनुमान है वहीं भोजन की भारी कमी के कारण 4,00,000 लोग कुपोषण से पीड़ित हैं। इस स्थिति को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समन्वयक डेविड ग्रेसली ने “दुनिया में दशकों में सबसे बुरे अकाल की ओर बढ़ता हुआ” माना है।

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