ईरान में यूरेनियम संवर्धन अब राष्ट्रीय गौरव बन चुका है: अब्बास अराक़ची
ईरान के विदेश मंत्री ने फॉक्स न्यूज़ से बातचीत में बताया कि हमलों से हुई क्षति के चलते ईरान में संवर्धन प्रक्रिया फिलहाल रुकी हुई है। उन्होंने कहा, “हम अपने संवर्धन कार्यक्रम को कभी नहीं छोड़ सकते। मेरा अमेरिका को संदेश है कि आइए और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत आधारित समाधान निकालिए।”
हम कभी 90 प्रतिशत की ओर नहीं जाएंगे
फॉक्स न्यूज़ के साथ ऑनलाइन इंटरव्यू में विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने उस सवाल के जवाब में कि “आप यूरेनियम को अन्य देशों की तरह क्यों नहीं आयात करते? क्यों ना ऐसा समझौता हो कि इसे देश में बनाने के बजाय बाहर से मंगाया जाए?”,
उन्होंने कहा:
“क्योंकि यह हमारी वैज्ञानिक उपलब्धि है, एक ऐसा मुकाम जिसे हमने खुद हासिल किया है। जब हम खुद उत्पादन कर सकते हैं तो हमें इसे बाहर से क्यों मंगाना चाहिए?”
जब एंकर ने कहा कि “आप संवर्धन को ज़रूरत से कहीं ज़्यादा, जैसे 90 या 60 प्रतिशत तक ले जाते हैं, जबकि यह 3.5 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए,”तो अराक़ची ने स्पष्ट किया:
“नहीं, नहीं। हम कभी 90 प्रतिशत की ओर नहीं जाएंगे। हम प्रतिबद्ध हैं कि, बिजलीघर के ईंधन के लिए 5 प्रतिशत से कम तक सीमित रहें। हम 20 प्रतिशत तक संवर्धन करते हैं क्योंकि तेहरान में हमारे पास एक अनुसंधान रिएक्टर है — जिसे ‘तेहरान रिसर्च रिएक्टर’ या TRR कहा जाता है। हम अपनी ज़रूरतों के अनुसार ही यूरेनियम संवर्धन करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा:
“हमने एक बार 60 प्रतिशत तक संवर्धन किया था — और वो भी तब, जब हमारी परमाणु स्थलों में तोड़फोड़ हुई थी। हां, उस वक्त हम 60 प्रतिशत तक पहुंचे थे, लेकिन मैंने बातचीत में अपने समक्ष पक्षों से कहा था कि अगर परमाणु समझौता हो जाए, तो हम तुरंत निचले स्तर पर लौट आएंगे।”
संवर्धन की प्रक्रिया फिलहाल रुकी है
फॉक्स न्यूज़ के एंकर ने आगे पूछा कि क्या ईरान का संवर्धन कार्यक्रम अब फिर से शुरू हो गया है? या फिर हमलों की वजह से इतनी क्षति हुई कि पूरी प्रक्रिया थम गई है?
अराक़ची ने उत्तर दिया:
“इस समय यूरेनियम संवर्धन की प्रक्रिया रुकी हुई है, क्योंकि हमारे परमाणु स्थलों को काफी गंभीर क्षति पहुँची है।”
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा:
“हम अपने संवर्धन कार्यक्रम से पीछे नहीं हट सकते, क्योंकि यह हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धि है। अब तो यह सिर्फ विज्ञान नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का विषय बन चुका है। संवर्धन हमारे लिए बेहद मूल्यवान है।”

