न्यूयॉर्क में दो-राष्ट्र समाधान सम्मेलन में स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी की स्थापना पर ज़ोर
मंगलवार को न्यूयॉर्क में आयोजित दो-राष्ट्र समाधान सम्मेलन में इज़रायल-फ़िलिस्तीन विवाद को इसी आधार पर हल करने की ज़रूरत पर सहमति बनी। यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र में सऊदी अरब और फ्रांस की मेज़बानी में हुआ। सात पन्नों के अंतिम घोषणापत्र में कहा गया कि, युद्ध, क़ब्ज़ा और जबरन विस्थापन से शांति नहीं आ सकती, और दो-राष्ट्र समाधान ही दोनों पक्षों की उम्मीदों को पूरा करने का एकमात्र रास्ता है। इसमें इज़रायल के बगल में एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना पर ज़ोर दिया गया।
सम्मेलन के प्रतिभागियों ने दो-राष्ट्र समाधान को धरातल पर उतारने के लिए 15 महीने की समय-सीमा तय की और कहा कि वे इस दिशा में समयबद्ध क़दम उठाने को प्रतिबद्ध हैं। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि यह समाधान लागू नहीं हुआ, तो संघर्ष और गहराएगा।
घोषणापत्र में जबरन फ़िलिस्तीनियों के विस्थापन को खारिज करते हुए इज़रायल से मांग की गई कि, वह हिंसा और उकसावे की कार्रवाई तुरंत बंद करे। साथ ही यह भी कहा गया कि ग़ाज़ा की जंग अब खत्म होनी चाहिए और इसे समाप्त करने के लिए सहभागी देश एकजुट कार्रवाई पर सहमत हुए हैं।
7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमलों और उसके जवाब में नागरिकों पर इज़रायली हमलों की निंदा करते हुए, घोषणापत्र में हमास से सभी इज़रायली बंदियों को रिहा करने और ग़ाज़ा में अपनी सत्ता समाप्त करने की मांग की गई। ग़ाज़ा में भुखमरी को एक युद्ध-हथियार के रूप में प्रयोग किए जाने को खारिज करते हुए, मानवीय सहायता की अबाध आपूर्ति सुनिश्चित करने की अपील की गई।
इसके अलावा, ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण प्रक्रिया के लिए एक समर्पित फंड की स्थापना की पुष्टि की गई, और संयुक्त राष्ट्र व अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से इस प्रयास के लिए संसाधन उपलब्ध कराने की मांग की गई। घोषणापत्र में फिलिस्तीनी अथॉरिटी के अधीन ग़ाज़ा में एक अंतरिम समिति की स्थापना, “अरब पुनर्निर्माण योजना” पर त्वरित अमल और एक एकीकृत राज्य और एक सशस्त्र बल की धारणा का स्वागत किया गया। साथ ही हमास को पूरी तरह से निरस्त्र करने और उसके हथियारों को फ़िलिस्तीनी सुरक्षा बलों को सौंपने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया गया।

