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कश्मीर पर तुर्की के सुर बदले , अर्दोग़ान ने फिर पलटी मारी

कश्मीर पर तुर्की के सुर बदले , अर्दोग़ान ने फिर पलटी मारी कश्मीर को लेकर भारत को समय-समय पर आंखें दिखाने वाले अर्दोग़ान ने एक बार फिर पलटी मार ली है।

कश्मीर पर अब तक पाकिस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारत विरोधी रुख अपनाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान ने कश्मीर पर अपना रवैया बदल दिया है। पाकिस्तान के साथ मित्रता निभाने की कोशिशों के बावजूद भी तुर्की के लिए सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। तुर्की ने अब कश्मीर पर नरम रुख अपनाया है।

इटली की प्रख्यात वेबसाइट इनसाइडओवर के राजनीतिक सलाहकार सर्गियो रेस्टेली का मानना है कि कश्मीर पर तुर्की के रुख और अरुचि को लेकर पाकिस्तान के सत्ता गलियारों में निराशा का माहौल है। तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोग़ान द्वारा कश्मीर मुद्दे पर असहजता दिखाने एवं पाकिस्तान का स्पष्ट रूप से पक्ष ना लेने के कारण इस्लामाबाद में निराशा दिखाई दे रही है।

तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोग़ान ने इस से पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा की लगातार तीन बैठक में कश्मीर मुद्दा उठाते हुए विश्व समुदाय को इस ओर ध्यान देने की अपील करते हुए कश्मीर मुद्दे को महत्व दिया था तथा पाकिस्तान का खुल कर साथ दिया था। अर्दोग़ान ने हमेशा यह जताने की कोशिश की थी कि कश्मीर का मुद्दा तुर्की के लिए बेहद अहम है।

रेस्टेली के अनुसार इस्लामिक दुनिया में रोहिंग्या मुसलमानों एवं उइगर समुदाय की चिंताओं को देखते हुए अर्दोग़ान के लिए इस समय कश्मीर कोई अहम् मुद्दा नहीं है। वह कश्मीर को लेकर नरम रवैया अपना रहे हैं। जबकि पाकिस्तान के लिए कश्मीर अब भी सबसे अहम मुद्दा है। वह लगातार प्रयास कर रहा है कि तुर्की उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर कश्मीर मुद्दे पर आवाज उठाए।

पाकिस्तान कश्मीर पर तुर्की के बदलते रुख को अच्छी तरह भांप गया है। तुर्की ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति की मेजबानी करते हुए भी ना तो कश्मीर का कोई उल्लेख किया, ना ही कश्मीर के कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर कोई शोक संदेश भेजा।

वहीँ दूसरी ओर तुर्की भारत के साथ मधुर संबंध रखने वाले इस्लामी देशों के साथ अपने संबंधों को सुधारने में रुचि ले रहा है। हाल ही के दिनों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात एवं मिस्र के साथ तुर्की ने अपने रिश्तो को बेहतर करने के प्रयास तेज कर दिए हैं।

इनसाइडओवर की रिपोर्ट के अनुसार अर्दोग़ान यह बात अच्छी तरह से समझ गए हैं कि अगर उन्हें तुर्की की आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए अपने लिए राजनीतिक समर्थन जुटाना है तो अंतरराष्ट्रीय मदद के साथ-साथ तुर्की में भरपूर निवेश भी चाहिए होगा। ऐसे में तुर्की के लिए भारत बेहतरीन आर्थिक सहयोगी साबित हो सकता है फिर चाहे पाकिस्तान का रवैया जो भी हो।

तुर्की को हाल ही में उसकी गतिविधियों एवं पाकिस्तान के भरपूर समर्थन के कारण है एफएटीएफ ने आतंकवाद के वित्त पोषण के आरोप लगाते हुए ग्रे लिस्ट में डाल दिया है।

 

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