ट्रंप, इज़रायल के इतिहास के सबसे बड़े दोस्त हैं: नेतन्याहू
अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो की तेल अवीव यात्रा के दौरान इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रंप को इज़रायल का सबसे बड़ा दोस्त बताया। नेतन्याहू ने कहा कि ट्रंप का इज़रायल के प्रति समर्थन अभूतपूर्व रहा है और अमेरिका-इज़रायल मिलकर ईरान के खिलाफ अपना मिशन पूरा करेंगे। नेतन्याहू के इस बयान से साफ़ हो जाता है कि, इज़रायल की आक्रामकता को ट्रंप प्रशासन का खुला समर्थन प्राप्त है, और ग़ाज़ा में युद्ध-विराम की बात केवल एक छलावा और धोखा है।
नेतन्याहू ने रूबियो के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि ईरान इस समय सबसे अहम मुद्दा है और दोनों देशों ने इस पर गहन बातचीत की। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका और इज़रायल ईरानी “ख़तरों” का मिलकर मुक़ाबला करेंगे।
ग़ाज़ा और हमास को लेकर भी नेतन्याहू ने सख़्त रुख़ अपनाते हुए कहा कि अगर सभी इज़रायली बंधकों को रिहा नहीं किया गया तो “नर्क के दरवाज़े” खोल दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप के साथ उनकी रणनीति इस मसले पर पूरी तरह स्पष्ट है।
सीरिया और लेबनान पर बात करते हुए नेतन्याहू ने कहा कि असद शासन के बाद सीरिया के भविष्य को लेकर चर्चा हुई और उम्मीद जताई कि लेबनानी सरकार युद्ध-विराम का पालन करेगी। साथ ही उन्होंने हिज़्बुल्लाह को पूरी तरह से निरस्त्र करने की मांग भी दोहराई। हालांकि यह भी वास्तविकता है कि, इज़रायल लेबनान में लगातार युद्ध-विराम समझौते का उल्लंघन कर रहा है। उसने ग़ाज़ा में भी युद्ध-विराम समझौते का लगातार उल्लंघन किया था। वहां उसके क्रूर हमले लगातार जारी हैं।
नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) के खिलाफ भी नाराज़गी जताते हुए कहा कि उसने झूठे आधारों पर गिरफ़्तारी वारंट जारी किए हैं। उन्होंने मध्य पूर्व को अवसरों और चुनौतियों वाला क्षेत्र बताया।
इस मौके पर अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो ने भी ट्रंप की तारीफ़ करते हुए कहा कि इज़रायल के लिए उनसे बेहतर कोई सहयोगी नहीं हो सकता। उन्होंने ग़ाज़ा में बंधकों की तत्काल रिहाई की मांग की और कहा कि हमास को किसी भी रूप में राजनीतिक या सैन्य ताक़त के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
ईरान पर बोलते हुए रूबियो ने दावा किया कि वह क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है और अमेरिका उसे परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा। हालांकि ईरान बार-बार कह चुका है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और उसके रक्षा सिद्धांत में परमाणु हथियारों की कोई जगह नहीं है।

