कल का दिन इज़रायल के लिए दर्दनाक दिन है: नेतन्याहू

कल का दिन इज़रायल के लिए दर्दनाक दिन है: नेतन्याहू

इज़रायल के प्रधानमंत्री ने बुधवार शाम एक वीडियो संदेश में कहा, “कल इज़रायल के लिए बहुत कठिन दिन होगा; यह एक दर्दनाक दिन होगा, एक दुःखद दिन होगा। हम अपने चार अपहृत प्रियजनों को प्राप्त करेंगे, जिनके शव वापस लौटेंगे।”

नेतन्याहू ने यह संदेश हमास की सैन्य शाखा ‘क़ताएब इज़्ज़ुद्दीन अल-क़स्साम’ द्वारा एक बयान जारी करने के तुरंत बाद जारी किया। अल-क़स्साम ने नेतन्याहू के संदेश से पहले घोषणा की थी कि सभी चार इज़रायली बंदी जीवित थे, जब तक कि इज़रायली युद्धक विमानों ने ग़ाज़ा में उनके कब्जे वाले स्थान पर बमबारी नहीं की थी।

हालाँकि, नेतन्याहू ने हमास को इन चार इज़रायली बंदियों की मौत का दोषी ठहराते हुए अपने संदेश के दूसरे हिस्से में कहा, “हम दुखी और पीड़ित हैं; लेकिन हम दृढ़ संकल्पित हैं कि इस तरह की घटना कभी नहीं दोहराई जाएगी।” युद्ध के दौरान हमास ने कई वीडियो संदेशों में इज़रायली बंदियों के परिवारों को चेतावनी दी थी कि, इज़रायली युद्धक विमानों द्वारा ग़ाज़ा पर बमबारी से बंदियों की मौत हो सकती है।

इज़रायली बंदियों के परिवारों के अलावा हजारों इज़रायली, पहले भी कई बार तेल अवीव और अन्य कब्जे वाले शहरों में नेतन्याहू की युद्ध नीति के खिलाफ प्रदर्शन कर चुके थे, ताकि ग़ाज़ा पर हमलों को रोका जा सके और अपने रिश्तेदारों की हत्या को टाला जा सके, लेकिन इन प्रदर्शनों का युद्ध की प्रक्रिया पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, और ग़ाज़ा पर हमले 15 महीनों तक जारी रहे।

इस बीच, इज़रायली सेना द्वारा ग़ाज़ा में किए गए बमबारी अभियानों में हमास के ठिकानों के बहाने केवल निर्दोष नागरिकों, महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया। इन हमलों को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और देशों ने आलोचना की थी, लेकिन नेतन्याहू “ग़ाज़ा नरसंहार” को अंजाम देते रहे।

नेतन्याहू की युद्ध नीति के खिलाफ इज़रायल में ही विरोध तेज़ हो गया था। खासतौर पर उन इज़रायली नागरिकों के परिवार, जो युद्ध में पकड़े गए थे या मारे गए थे, ने कई बार बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में यह आवाज़ उठाई गई कि नेतन्याहू की सरकार के युद्ध अभियानों के कारण मासूम लोगों की मौत हो रही है और उनकी नीतियों ने इज़रायल की सुरक्षा की बजाय नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया है।

तेल अवीव, येरूशलेम और अन्य बड़े शहरों में हज़ारों लोग सड़क पर उतरे और “नेतन्याहू इस्तीफा दो” जैसे नारे लगाए। इन प्रदर्शनकारियों का कहना था कि प्रधानमंत्री की नीति ने, न केवल इज़रायल के नागरिकों के लिए बल्कि ग़ाज़ा के नागरिकों के लिए भी स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। नेतन्याहू केवल अपनी सत्ता बचाने के लिए नरसंहार कर रहे हैं।

इन प्रदर्शनों और आलोचनाओं के बावजूद, नेतन्याहू ने अपनी नीति को यह कहते हुए स्थिर बनाए रखा, कि “हमें समाप्त को समाप्त करना है, जबकि पूरी दुनिया ने देखा की पंद्रह महीने तक लगातार बमबारी करने और ग़ाज़ा निवासियों के नरसंहार के बाद भी वह बंधकों को छुड़ा नहीं सके और वह हमास के सामने घुटने टेकने पर मजबूर हो गए। नेतन्याहू मानवाधिकारों और नागरिकों की सुरक्षा के मुद्दों पर लगातार चुप रहे।

नेतन्याहू के खिलाफ यह विरोध केवल उनके आंतरिक राजनीतिक विरोधियों तक ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बढ़ता गया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अन्य देशों द्वारा ग़ाज़ा में नागरिकों के प्रति अत्याचारों की आलोचना की गई है।

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