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फिलिस्तीन और लेबनान के समर्थन में इराकी प्रतिरोध का इलेट और ग़ोलान के कब्जे वाले क्षेत्रों पर तीन बड़े हमले

फिलिस्तीन और लेबनान के समर्थन में इराकी प्रतिरोध का इलेट और ग़ोलान के कब्जे वाले क्षेत्रों पर तीन बड़े हमले

बीते रविवार को इस्लामी प्रतिरोध इराक़ ने एक के बाद एक तीन हमले कर कब्जे वाले इलेट और ग़ोलान क्षेत्रों को हिलाकर रख दिया। यह हमले इराकी प्रतिरोध द्वारा जारी किए गए कई बयानों के जरिए सामने आए, जिनमें उन्होंने इन हमलों की वजह और उनके लक्ष्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

पहला हमला: ग़ोलान के कब्जे वाले क्षेत्र पर ड्रोन से हमला

इराकी प्रतिरोध ने सबसे पहले अपने एक बयान में बताया कि उसने ड्रोन का उपयोग करते हुए ग़ोलान के कब्जे वाले क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण ठिकाने पर हमला किया। बयान में कहा गया कि यह हमला फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के समर्थन में और वहां के निर्दोष नागरिकों, जिनमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, के खिलाफ ग़ासिब (कब्जा करने वाले) शासन द्वारा किए गए नरसंहार के जवाब में किया गया है। प्रतिरोध का कहना था कि उनकी यह कार्रवाई उस नीति का हिस्सा है जो कब्जाधारियों के खिलाफ लड़ाई को जारी रखने और अपने लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनाई गई है।

दूसरा हमला: एक और ठिकाने को बनाया निशाना

पहले हमले के कुछ समय बाद ही इराकी प्रतिरोध ने एक और बयान जारी कर बताया कि ग़ोलान के ही कब्जे वाले क्षेत्र में एक अन्य महत्वपूर्ण ठिकाने पर फिर से ड्रोन हमला किया गया। यह दूसरा हमला भी उसी उद्देश्य का हिस्सा था, जिसमें कब्जाधारी ताकतों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया गया था।

तीसरा हमला: इलेट (उम-अल-रशराश) पर ड्रोन से हमला

तीसरे और सबसे हालिया हमले की घोषणा में इराकी प्रतिरोध ने बताया कि उन्होंने कब्जे वाले इलेट क्षेत्र, जिसे उम-अल-रशराश के नाम से भी जाना जाता है, में एक महत्वपूर्ण ठिकाने पर ड्रोन हमला किया। इराकी प्रतिरोध ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई उनके बढ़ते संघर्ष और दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने की योजना का हिस्सा थी।

इराकी प्रतिरोध का संघर्ष जारी रखने का संकल्प

इराकी प्रतिरोध ने अपने बयानों के अंत में यह भी कहा कि वह कब्जाधारी ताकतों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को लगातार तेज करेंगे। उनका कहना है कि दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट करने की यह प्रक्रिया और भी तेज होगी, ताकि उनकी क्रूरता और अन्याय को समाप्त किया जा सके।

यह तीनों हमले इराकी प्रतिरोध की उस नीति का स्पष्ट संकेत हैं, जिसमें उन्होंने फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया है और अतिक्रमणकारी शासन की नीतियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इन हमलों ने यह भी दिखाया कि इराकी प्रतिरोध अपनी कार्रवाई को सीमित न रखते हुए कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित ठिकानों को निशाना बनाकर उन्हें कमजोर करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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