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तीन इज़रायली मंत्रियों ने नेतन्याहू कैबिनेट से इस्तीफ़ा दिया

तीन इज़रायली मंत्रियों ने नेतन्याहू कैबिनेट से इस्तीफ़ा दिया

इज़रायल की “ओत्ज़मा यहूदित” (यहूदी शक्ति) पार्टी के तीन मंत्रियों – इतामार बिन-गवीर, इसहाक वासरलाॅफ, और अमीहाई एलियाहू ने आज औपचारिक रूप से अपनी जिम्मेदारियां छोड़ दीं और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की कैबिनेट से अलग हो गए।

दो दिन पहले, इन मंत्रियों ने ग़ाज़ा में युद्ध-विराम समझौते की कड़ी आलोचना करते हुए अपने इस्तीफे की घोषणा की थी। बिन-गवीर ने आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के कार्यालय से बाहर निकलते हुए कहा, “हमने ऐसे काम किए जो पहले कभी नहीं हुए। हमने 200 हथियार लाइसेंस जारी किए।”

ओत्ज़मा यहूदित पार्टी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर, नेतन्याहू सरकार के सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होने का ऐलान किया। बिन-गवीर ने अपने इस्तीफे के पीछे कारण बताते हुए कहा कि यह फैसला “ग़ाज़ा युद्ध में इज़रायली सेना की उपलब्धियों को खोने, ग़ाज़ा से सेना की वापसी और युद्ध-विराम” के विरोध में लिया गया है। पार्टी ने इस समझौते को “हमास के सामने आत्मसमर्पण” करार दिया।

इसके अलावा, बिन-गवीर ने 18 जनवरी को जारी एक वीडियो में कहा कि इस समझौते का विवरण सुनकर वह “सन्न रह गए” थे। उन्होंने लिकुड और धार्मिक ज़ायोनिज़्म पार्टी के मंत्रियों से इस समझौते को रोकने की अपील की। उन्होंने वित्त मंत्री बेज़लेल स्मोट्रिच को भी मनाने की कोशिश की कि यदि यह समझौता पारित हो जाए, तो वह भी उनके साथ इस्तीफा दें। हालांकि, स्मोट्रिच ने केवल शुक्रवार और शनिवार की कैबिनेट बैठक के दौरान इस समझौते के खिलाफ मतदान करने तक ही अपनी असहमति जताई।

ओत्ज़मा यहूदित पार्टी के इस्तीफे से नेतन्याहू की गठबंधन सरकार के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। नेतन्याहू पहले से ही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रहे हैं, और इस राजनीतिक उथल-पुथल ने उनकी स्थिति को और कमजोर कर दिया है। अब यह देखना बाकी है कि नेतन्याहू इस संकट से कैसे निपटते हैं और क्या वह अपनी गठबंधन सरकार को बनाए रखने में सफल हो पाएंगे।

बता दें कि, इज़रायल और हमास के बीच हालिया संघर्षों के बाद ग़ाज़ा में युद्ध-विराम लागू किया गया, जिसे नेतन्याहू सरकार ने अपनी कूटनीतिक सफलता के रूप में प्रस्तुत किया। हालांकि, ओत्ज़मा यहूदित पार्टी के अनुसार, यह युद्ध-विराम इज़रायल के खिलाफ “राजनीतिक और सामरिक हार” है। पार्टी का आरोप है कि इज़रायल ने हमास के सामने झुककर ग़ाज़ा से अपनी सेना वापस बुलाने का फैसला किया, जो लंबे समय में देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

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