यमनी सेना प्रमुख की अंतिम यात्रा में हज़ारों लोगों ने शिरकत की
सना (यमन) में सोमवार को यमन की सेना के पूर्व चीफ ऑफ़ स्टाफ शहीद मोहम्मद अब्दुल करीम अल-ग़मारी, जिन्हें “हाशिम” के नाम से भी जाना जाता है, का जनाज़ा बेहद शानदार और ऐतिहासिक माहौल में निकाला गया।
यह जनाज़ा सना के अस-सबईन मैदान में सुबह 10 बजे नमाज़े जनाज़ा के बाद शुरू हुआ, जिसमें दसियों हज़ार लोग, यमन के सैन्य अफसर और अंसारुल्लाह आंदोलन के नेता मौजूद थे। शहीद अल-ग़मारी, जो पिछले हफ़्ते इस्राईली हमले में शहीद हुए थे, बीस सालों से यमन की रक्षा और कई अहम सैन्य अभियानों में अग्रणी भूमिका निभाते रहे थे।
जनाज़े के दौरान अल-ग़मारी का ताबूत, उनके बेटे और अंगरक्षकों के साथ उठाया गया, जो उसी हमले में शहीद हुए थे। हज़ारों लोगों ने यमन और फ़िलिस्तीन के झंडे लहराए और प्रतिरोध के समर्थन में नारे लगाए।
इस मौक़े पर यमन के मुफ़्ती आलामा शम्सुद्दीन शरफ़ुद्दीन ने कहा कि, इज़रायल और अमेरिका के साथ किसी भी तरह का सहयोग देश से ग़द्दारी के बराबर है।” उन्होंने यह भी कहा कि “जो लोग जासूसों की मौजूदगी जानते हैं लेकिन अधिकारियों को रिपोर्ट नहीं करते, वे भी इस गुनाह में शरीक हैं।”
उन्होंने अंतिम यात्रा में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “यह एक बहुत बड़ी मुसीबत, मोमिनों के लिए अल्लाह की तरफ़ से एक इम्तिहान है — ताकि वे अल्लाह की राह में सब्र करें और मज़लूमों का साथ दें। बता दें कि, पिछले कुछ दिनों में सना और अन्य प्रांतों में भी लाखों लोगों ने ग़ाज़ा के समर्थन और शहीद अल-ग़मारी की याद में बड़े पैमाने पर जलूस और मातमी मार्च निकाले।
यमन की सशस्त्र सेनाओं ने 24 अक्टूबर को बयान जारी कर यह ऐलान किया था कि लेफ़्टिनेंट जनरल मोहम्मद अब्दुल करीम अल-ग़मारी अपने 13 वर्षीय बेटे के साथ शहीद हो गए हैं। उनकी जगह लेफ़्टिनेंट जनरल यूसुफ़ हसन अल-मदानी को नया चीफ ऑफ़ स्टाफ नियुक्त किया गया है।

