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सऊदी अरब में क़ुरआने मजीद की तालीम में होगी कटौती

सऊदी अरब में क़ुरआने मजीद की तालीम में होगी कटौती

सऊदी अरब की सत् पर क़ाबिज़ आले सऊद ने एक बार फिर अपनी इस्लाम दुश्मन नीतियों को आगे बढ़ाते हुए अब देशभर के स्कूलों में क़ुरान की तालीम के लिए तय किये गए वक़्त में कमी करने का ऐलान किया है.

क़ुरआने मजीद और दीनी तालीम के लिए सऊदी अरब में पहले जो टाइम टेबल था अब उसमे बदलाव करते हुए एक सप्ताह में सिर्फ 15 घंटे दीनी तालीम और क़ुरआने मजीद के लिए दिए गए हैं.

सऊदी समाचार पत्र अक्काज़ की रिपोर्ट के अनुसार आले सऊद तानाशाही कि ओर से जारी आदेश के अनुसार अब थियोलॉजी और क़ुरआने मजीद दो अलग अलग सब्जेक्ट नहीं होंगे बल्कि इन्हे एक साथ पढ़ाया जाएगा और इनके लिए पहले से तय किया गया वक़्त भी दो तिहाई हद तक ख़त्म कर दिया गया है.

अल आलम ने अल अक्काज़ के हवाले से रिपोर्ट देते हुए कहा कि पहले सऊदी अरब में थियोलॉजी और क़ुरआने मजीद दो अलग अलग सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाये जाते थे और दोनों सब्जेक्ट के लिए एक सप्ताह में 35 घंटे तय किये गए थे लेकिन आले सऊद ने अपने ताज़ा फरमान में इन दोनों को एक सब्जेक्ट बताते हुए वक़्त भी काफी कम कर दिया है और अब एक सप्ताह में इन दोनों के लिए केवल 15 घंटे दिए जाएंगे.

सऊदी सरकार के इस फैसले को सही ठहराते हुए आले सऊद के दरबारी मुल्ला और लेखक तुर्की अल हम्द ने कहा कि क़ुरान की तालीम सिर्फ उन लोगों के लिए ज़रूरी है जो आगे चलकर दीनी शिक्षा लेना चाहते हैं और धार्मिक मामलों के स्पेशलिस्ट बनना चाहते हैं.

सऊदी दरबारी लेखक की यह बात समाने आते ही सऊदी अरब की जाता में ग़ुस्सा फ़ैला हुआ है. एक सऊदी सोशल वर्कर फालेह अल सबीई ने कहा कि खुदा तुझे हलाक करे. तेरे पैर क़ब्र में लटक रहे हैं, क़ुरान हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है. वहीँ एक अन्य यूज़र ने कहा कि सही आस्था और अक़ीदे की पहचान दीन पर अमल करने की ओर पहला क़दम है.

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