सीरिया में अल-जूलानी के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त ग़ुस्सा और प्रदर्शन
अल-स्वैदा में संकट गहराने के बीच, दमिश्क के रिफ़ इलाके में स्थित द्रूज़ बहुल शहर जर्माना के निवासी भी सड़कों पर उतर आए और अबू मोहम्मद अल-जूलानी की सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया। फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, स्वैदा में हालात के बिगड़ने के बाद, जर्माना के द्रूज़ नागरिकों ने बुधवार को प्रदर्शन कर अल-जूलानी की हुकूमत को आतंकवादी करार दिया और उसके शासन के पतन की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए — “ऐ जूलानी, तेरा हमसे कोई लेना-देना नहीं! अपने कुत्तों को ले और हमें छोड़ दे!” और “जनता इस शासन के पतन की मांग करती है!” एक सीरियाई सुरक्षा सूत्र ने बताया कि जर्माना की सुरक्षा स्थिति पर अब द्रूज़ समुदाय का नियंत्रण हो सकता है, क्योंकि अल-जूलानी से जुड़े पब्लिक सिक्योरिटी बल, प्रदर्शन शुरू होते ही भाग निकले।
उधर, स्वैदा प्रांत में हालिया टकराव द्रूज़ समुदाय और दमिश्क पर काबिज बाग़ी शासन के बीच गंभीर मोड़ पर पहुँच गया है। अल-जूलानी के नेतृत्व में बाग़ी शासन ने, द्रूज़ों और बद्दू क़बीलों के बीच घातक झड़पों के बाद, “स्थिति को संभालने” के नाम पर स्वैदा में दखल दिया, लेकिन द्रूज़ों के धार्मिक नेता ने इन बलों का विरोध करने की अपील की, जिससे संघर्ष और बढ़ गया।
इस संप्रदायिक टकराव के बाद, द्रूज़ों द्वारा हथियारबंद समूहों के गठन और उन पर अलगाववाद के आरोपों के बीच, इज़रायल ने “द्रूज़ों की सुरक्षा” के बहाने हस्तक्षेप किया और सीरियाई सेना के ठिकानों पर हवाई हमले कर दक्षिणी सीरिया में अपनी भूमिका को स्पष्ट कर दिया।
विश्लेषकों का मानना है कि यह समर्थन एक ओर तो गोलान हाइट्स में बसे द्रूज़ों से जातीय संबंधों के कारण है, और दूसरी ओर दमिश्क़ सरकार को कमजोर कर एक बफर ज़ोन बनाने की इज़रायली रणनीति का हिस्सा है। इसी क्रम में, इज़रायली सेना ने बुधवार सुबह से अल-जूलानी के बलों पर अपने हमले तेज कर दिए और सीरिया की राजधानी दमिश्क़ में ड्रोन हमला कर वहां के रक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया है।

