प्रतिरोध का कोई विकल्प नहीं है, इस्राईल और उसके सहयोगियों का युग समाप्त
लेबनान के लोकप्रिय जनांदोलन एवं प्रभावशाली राजनैतिक दल हिज़्बुल्लाह कमांडरों की मौत की बरसी पर बैरूत उलमा एसोसिएशन ने एक बयान जारी किया। प्रतिरोध के सिद्धांत कुछ ऐसे हैं जिनका राष्ट्रीय स्तर पर कोई भी मुक़ाबला नहीं कर सकता। प्रतिरोध का कोई विकल्प है ही नहीं, और इस प्रतिरोध ने दुश्मन के ख़िलाफ़ अपनी उपयोगिता को साबित कर दिया है।
अल-अहद के हवाले से रिपोर्ट देते हुए फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी ने कहा कि बैरूत उलमा एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि प्रतिरोध ने अपनी उपस्थिति साबित कर दी है तथा तल अवीव में बैठकर निर्णय लेने वालों के मन और विचारों में गहरी दरारें पैदा कर दी हैं। प्रतिरोध कोई खेल नहीं है और जिसे भी इस तथ्य को समझना है उसे दुश्मन के इक़बालिया बयानों को एक बार फिर से पढ़ना चाहिए, ताकि उसे पता चल सके लेबनान आज किस कारण पूरे सम्मान के साथ खड़ा है।
इस बयान में आगे कहा गया कि देश को इस्राईली और तकफ़ीरी दुश्मनों से बचाने वाले प्रतिरोध की राह के शहीद होने वाले लोगों के साथ किए गए वादों को नवीनीकृत करते हुए उन शहीदों को सलाम करते हैं और उनकी पाक रूहों पर दुरूद भेजते हैं, और हम उन शहीदों से कहना चाहते हैं कि आप सभी हमारे सर पर मौजूद सम्मान ताज का हीरा हैं। आप लोगों ने अपने ख़ून से जो हासिल किया है वह बहुत महान है और आपका संकल्प पहाड़ों के समान दृढ़ है।
बैरूत उलमा एसोसिएशन ने अपने बयान में ज़ोर देकर कहा कि इस्राईल और उसके सहयोगियों का दौर समाप्त हो गया है और जब तक हमारा देश और हमारे लोग प्रतिरोध की राह पर डटे रहेंगे दुश्मन के साथ सामान्यकरण की साज़िश को साकार नहीं किया जा सकेगा। ज़ायोनी शासन प्रतिरोध की रणनीतिक उपलब्धियों से सन्न रह गया है, और प्रतिरोध द्वारा बनाए गए समीकरण के चलते दुश्मन मजबूर है कि अपने हर चाल बड़ी सावधानी से चले क्योंकि वह जानता है कि छोटा सा भी ग़लत क़दम उठाने की उसे भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
इस बयान में आगे कहा गया है कि यही कारण है कि इस्राईली सेना के प्रमुख अवीव कोख़ावी ने स्वीकार किया है कि इस्राईल धीरे धीरे एक नई वास्तविकता का सामना कर रहा है कि वह युद्ध शुरू करने का निर्णायक निर्णय नहीं ले सकता, क्योंकि ऐसी परिस्थिति में कोई भी युद्ध इस्राईल के लिए बहुत महंगा और दर्दनाक होगा।
इस बयान के अंत में कहा गया कि प्रतिरोध को कमज़ोर करने या उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने का कोई भी प्रयास चाहे अंदरुनी हो या बाहरी कामयाब नहीं हो सकता। हिज़्बुल्लाह के दिवंगत महान कमांडर एमाद मुग़निया कहते थे कि कुछ लोग प्रतिरोध को मिटाने और हिज़्बुल्लाह को समाप्त करने का सपना देख रहे थे लेकिन प्रतिरोध का अस्तित्व कभी मिट नहीं सकता क्योंकि इसकी जड़ें समाज में हैं। शहीदों, उनके बुलंद कारनामों और उनके सम्मानित परिवारों के बलिदान की याद को बाक़ी रखने वाले समाज और राष्ट्र के अस्तित्व को कोई भी समाप्त नहीं कर सकता।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 16 फ़रवरी लेबनान के इस्लामी कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन लेबनान में हिज़्बुल्लाह के कमांडरों शैख़ राग़िब हर्ब, हिज़बुल्लाह के पूर्व महासचिव सैयद अब्बास मूसवी और उनकी पत्नी उम्मे यासिर और एमाद मुग़निया का दिन है। यह दिन हिज़्बुल्लाह के शहीद कमांडरों के सम्मान में आयोजित किया जाता है।