दुनिया देख रही है कि, इज़रायल एक नागरिक जहाज़ पर हमला कर रहा है: हैदी मैथ्यूज़
इज़रायली सेनाएं सोमवार को एक ब्रिटिश ध्वज वाली मानवीय सहायता जहाज़ मेडेलीन पर चढ़ गईं और उसके क्रू के सदस्यों को हिरासत में ले लिया। यह जहाज़ ग़ाज़ा की घेराबंदी में फंसी और भूख से जूझ रही आबादी तक खाद्य सामग्री और अन्य सहायता पहुँचाने की कोशिश कर रहा था। फ्रीडम फ़्लोटिला कोएलिशन ने एक बयान में कहा कि “मेडेलीन को अवैध रूप से रोका गया, उसके निहत्थे क्रू को अग़वा किया गया और सहायता सामग्री ज़ब्त कर ली गई।”
मानवाधिकार वकील और फ्रीडम फ़्लोटिला की संयोजक हुयदा अ’राफ़ ने कहा कि “इज़रायल के पास मेडेलीन पर सवार अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों को हिरासत में लेने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।” उन्होंने दलील दी कि “इज़रायल की समुद्री नाकाबंदी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के बाध्यकारी आदेशों का उल्लंघन करती है, जिनके तहत ग़ाज़ा तक बिना रुकावट मानवीय पहुँच सुनिश्चित करना ज़रूरी है।”
अ’राफ़ ने आगे कहा कि “ये स्वयंसेवक इज़रायली अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं आते और उन्हें सहायता पहुँचाने या अवैध नाकाबंदी को चुनौती देने के अपराध में दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इनकी हिरासत मनमानी और अवैध है, इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।”
कनाडा की यॉर्क यूनिवर्सिटी के ओसगूड हॉल लॉ स्कूल में क़ानून की सहायक प्रोफेसर हैदी मैथ्यूज़ ने सोशल मीडिया पर लिखा: “दुनिया देख रही है कि इज़रायल एक नागरिक जहाज़ पर हमला कर रहा है जिसमें कोई हथियार नहीं है। सिर्फ़ मानवीय सहायता, वह जहाज़ यूके का झंडा लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्र में है और उस पर विभिन्न देशों के मानवतावादी लोग सवार हैं। इज़रायल के पास किसी भी क़ानून के तहत ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।”
इस बीच, इज़रायली विदेश मंत्रालय ने सोमवार को मेडेलीन को “सेल्फ़ी यॉट” कहकर तंज कसा और कहा कि इज़रयली सेनाओं के उस पर सवार होने के बाद जहाज़ सुरक्षित रूप से इज़रायली तटों की ओर बढ़ रहा है। यह जहाज़ 1 जून को सिसिली से रवाना हुआ था। जहाज़ पर सवार दर्जन भर यात्रियों में स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग और यूरोपीय संसद की सदस्य रीमा हसन भी शामिल हैं।
थनबर्ग ने फ्रीडम फ़्लोटिला द्वारा पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा: “अगर आप ये वीडियो देख रहे हैं, तो इसका मतलब है कि हमें इज़रायली क़ाबिज़ सेनाओं या उनकी समर्थक सेनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुद्र में रोककर अगवा कर लिया है। मैं अपने दोस्तों, परिवार और साथियों से अपील करती हूँ कि स्वीडिश सरकार पर दबाव डालें कि, वह मुझे और मेरे साथियों को जल्द से जल्द रिहा कराए।”

