ख़ाशुकजी की हत्या की तीसरी बरसी; दोषियों को सजा दिए बिना ही बंद हुए मामले
आज (शनिवार, 2 अक्टूबर) इस्तांबुल, तुर्की में सऊदी वाणिज्य दूतावास में सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशुकजी की हत्या के तीन साल गुज़र गए हैं इस क़त्ल में शामिल मुख्य अपराधियों को अभी भी सजा नहीं मिली है और जिनको इस मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी उनकी इस सजा को क़ैद से बदल दिया गया है और कुछ को पूरी तरह से बरी कर रिहा कर दिया गया है, और जिन्होंने हत्या का आदेश दिया, वो भी हर तरह की पूछताछ से मुक्त हैं।
बता दें कि ख़ाशुकजी की 2 अक्टूबर, 2018 को तुर्की में सऊदी वाणिज्य दूतावास में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी, और उनके शरीर को टुकड़े टुकड़े करके वाणिज्य दूतावास की इमारत से निकाला गया था।
पहले तो सऊदी अधिकारियों ने ख़ाशुकजी के क़त्ल के मामले किसी भी तरह की जानकारी से इंकार करते हुए दावा किया था कि उन्होंने अपने काम के बाद वाणिज्य दूतावास से चले गए थे, साथ ही सऊदी अधिकारियों ने एक फ़र्ज़ी वीडियो भी वायरल किया जिसमे ख़ाशुकजी को दूतावास से बाहर निकलते दिखाया गया था लेकिन आख़िरकार उनके इस झूट का पर्दाफाश हो गया।
झूठ का पर्दाफाश होने सऊदी अधिकारी ख़ाशुकजी के क़त्ल के मामले को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया पहले तो सऊदी अधिकारियों ने इस बात का दावा किया कि खःसुकजी दूतावास में एक लड़ाई में मारे गए लेकिन बात में उन्होंने अपनी बात को बदलते हुए एक और दावा करते हुए कहा: एक आतंकवादी टीम ने ख़शुकजी को मार गिराया है।
सऊदी अरब के दावों के बावजूद, यहां तक कि अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों ने भी पुष्टि की है कि ख़ाशुकजी की हत्या वरिष्ठ सऊदी अधिकारियों, विशेष रूप से मुहम्मद बिन सलमान के जानते हुए अंजाम दी गई है।
जमाल ख़ाशुकजी का जन्म 13 अक्टूबर 1958 को हुआ था। वह पहले अल-वतन अखबार के संपादक और बाद में अल-अरब समाचार नेटवर्क के निदेशक थे। ख़शुकजी सितंबर 2017 में सऊदी अरब से भाग गए, और बाद में वाशिंगटन पोस्ट में एक स्तंभकार के रूप में अपने देश की कुछ नीतियों, विशेष रूप से मोहम्मद बिन सलमान की आलोचना करते हुए लेख प्रकाशित किए। वो यमन के खिलाफ सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन के सैन्य हस्तक्षेप के मुखर आलोचक थे।
ख़ाशुकजी की हत्या के लगभग एक साल बाद, 25 सितंबर, 2019 को, मोहम्मद बिन सलमान ने पीबीएस के साथ एक साक्षात्कार में, वाशिंगटन पोस्ट के लिए सऊदी पत्रकार और स्तंभकार की हत्या की जिम्मेदारी स्वीकार की थी।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने जुलाई के अंत में बताया कि जमाल ख़ाशुकजी की हत्या करने वाली टीम के कुछ सदस्यों ने संयुक्त राज्य में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया था। अमेरिकी अखबार के अनुसार अर्कांसस स्थित सुरक्षा कंपनी टियर 1 ग्रुप ने ख़शुकजी की हत्या टीम के कई सदस्यों को प्रशिक्षित किया था, हालांकि प्रशिक्षण “रक्षात्मक” था और इसका उद्देश्य “सऊदी नेताओं की बेहतर सुरक्षा करना” था।
अरबी 21 वेबसाइट ने ख़शुकजी हत्याकांड की बरसी पर एक रिपोर्ट में लिखा, “ये अपराध दुनिया की जनता के लिए चौंकाने वाला था और इसके नतीजे अभी भी जारी हैं।”
इस संबंध में, कल (शुक्रवार, 1 अक्टूबर) विभिन्न कानूनी संगठन वाशिंगटन में रियाद दूतावास के सामने एकत्र हुए और ख़ाशुकजी की हत्या की तीसरी बरसी पर अपराधियों को न्याय और सजा देने का आह्वान किया।
चंगेज ने एक संदेश में लिखा, “जमाल ख़ाशुकजी की हत्या के तीन साल बाद, हम अब वाशिंगटन में सऊदी दूतावास के सामने हैं और हम सभी ख़ाशुकजी को न्याय दिलाने की अपनी कोशिश को जारी रखेंगे।”