ग़ाज़ा की स्थिति दिन-ब-दिन और बिगड़ती जा रही है: ब्रिटिश प्रधानमत्री
एक ओर जहां ब्रिटेन सरकार, लगभग 20 महीनों से इज़रायल द्वारा ग़ाज़ा पर ढाए जा रहे जुल्मों, बमबारी और फिलिस्तीनी जनसंहार की खुली हिमायती रही है, वहीं अब प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की “चिंता” ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। स्टार्मर ने सोमवार को कहा, “ग़ाज़ा की स्थिति दिन-ब-दिन और बिगड़ती जा रही है। हमें युद्ध-विराम चाहिए और मानवीय सहायता तुरंत पहुँचना चाहिए।”
वहीँ उनके इस बयान पर आलोचकों का कहना है कि ब्रिटेन की ये ‘चिंता’ महज़ दिखावा है, क्योंकि उसी ब्रिटेन ने इज़रायल को हथियार, राजनीतिक समर्थन और कूटनीतिक सुरक्षा मुहैया कराई है।
अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, स्टार्मर ने कहा कि “हम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यह स्पष्ट कर रहे हैं कि ग़ाज़ा की वर्तमान स्थिति अस्वीकार्य है।” उन्होंने ये भी कहा कि “हम ज़ोर देते हैं कि मानवीय सहायता तुरंत और भरपूर मात्रा में पहुँचनी चाहिए, जो अब तक नहीं पहुँच रही है।” लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सिर्फ़ बयान देने से ग़ाज़ा में मासूम बच्चों, औरतों और नागरिकों का ख़ून बहना रुक जाएगा?
ब्रिटिश सरकार, जो अब तक इज़रायली हमलों को ‘आत्मरक्षा’ का नाम देती रही है, अब जब ग़ाज़ा की तबाही वैश्विक निंदा का विषय बन चुकी है, तो अपनी छवि सुधारने की कोशिश में ‘मानवीय चिंता’ की भाषा बोल रही है। वास्तव में, अगर लंदन ग़ाज़ा की मदद चाहता है, तो उसे इज़रायल पर हथियारों की सप्लाई बंद करनी चाहिए, और जनसंहार में उसकी भागीदारी से पीछे हटना चाहिए। ग़ाज़ा को आज ‘सहानुभूति’ नहीं, बल्कि न्याय, सपोर्ट और इज़रायली अत्याचार के खिलाफ़ स्पष्ट रुख की ज़रूरत है।

