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ग़ाज़ा के निवासियों को निकालने का विचार गलत है: बेरूत

ग़ाज़ा के निवासियों को निकालने का विचार गलत है: बेरूत

लेबनान के प्रधानमंत्री “नवाफ सलाम” ने मंगलवार शाम ग़ाज़ा के निवासियों को उनके घरों से निकालकर दूसरे देशों में शरण देने की योजना को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने इस योजना को एक भ्रांति बताते हुए स्पष्ट किया कि ऐसा करना न केवल अव्यावहारिक है, बल्कि यह गाज़ा के लोगों के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर सकता है।

सलाम ने इस मुद्दे पर अपने बयान में कहा कि लेबनान का रुख इस मामले में बहुत स्पष्ट और दृढ़ है। उन्होंने ग़ाज़ा के निवासियों को उनके घरों से बेदखल करने की किसी भी योजना को अस्वीकार्य बताया और इसे पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र के लिए खतरनाक बताया। उनका कहना था कि ऐसा कदम न केवल ग़ाज़ा के लोगों के लिए एक बड़ी त्रासदी होगा, बल्कि इससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता और हिंसा का माहौल बन सकता है।

प्रधानमंत्री सलाम ने यह भी स्पष्ट किया कि लेबनान हमेशा फिलिस्तीनियों के अधिकारों का समर्थन करता रहेगा। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों को उनके घरों से बाहर निकालने की कोई भी कोशिश नैतिक और मानवीय रूप से गलत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फिलिस्तीनियों को उनके कानूनी और वैध अधिकारों के लिए पूरा समर्थन दिया जाना चाहिए।

इसके अलावा, सलाम ने फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के पक्ष में लेबनान के समर्थन को दोहराया। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनियों को उनकी भूमि और अधिकारों पर कब्जा बनाए रखने का पूरा अधिकार है और लेबनान इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।

प्रधानमंत्री सलाम के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि लेबनान सरकार फिलिस्तीनी नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने किसी भी प्रकार के जबरन विस्थापन या शरणार्थी बनाने के प्रयासों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। लेबनान का यह स्टैंड न केवल फिलिस्तीनियों के प्रति उनकी एकजुटता को दर्शाता है, बल्कि यह पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

इस बयान के माध्यम से लेबनान ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह फिलिस्तीनी लोगों के साथ खड़ा है और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा। साथ ही, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने और फिलिस्तीनियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।

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