ग़ाज़ा की जनता ने जो दर्द झेले हैं, वो पूरी उम्मत नहीं झेल सकी: हमास नेता
हमास के वरिष्ठ नेता ख़लील अल-हय्या ने कहा है कि ग़ाज़ा के लोग जो यातनाएं और तकलीफें सह रहे हैं, वैसी तकलीफें पूरी इस्लामी उम्मत ने भी नहीं सही हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ग़ाज़ा के लोग इज़रायल की नस्लकुशी और तबाही के खिलाफ डटे हुए हैं और उनकी कुर्बानियां इतिहास में हमेशा याद रखी जाएंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि, तबाही और नरसंहार के माहौल में चल रही बातचीत का कोई मतलब नहीं बनता, क्योंकि क़ाबिज़ इज़रायल अपनी दरिंदगी से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
ख़लील अल-हय्या ने फ़िलिस्तीनी संघर्ष को आज़ादी, आत्मनिर्णय के अधिकार और वतन की बहाली के लिए एक महान मक़सद बताया और पूरी उम्मत-ए-इस्लामिया से अपील की कि, ग़ाज़ा के मज़लूमों की खुलकर मदद करें ताकि इज़रायली वहशियत को रोका जा सके। गौरतलब है कि, हमास और इज़रायल के बीच संघर्ष-विराम पर हो रही परोक्ष बातचीत फिलहाल ठप पड़ी है, वहीं ग़ाज़ा के कई इलाक़ों में इज़रायली सैन्य हमले जारी हैं।
ख़लील अल-हय्या ने एक रिकॉर्डेड बयान में कहा कि जब तक ग़ाज़ा में घेराबंदी, नस्लकुशी और लोगों को भूखा रखने का सिलसिला जारी है, तब तक बातचीत का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर बातचीत को गंभीरता से जारी रखना है तो सबसे पहले सम्मानजनक और तुरंत खाद्य सामग्री और दवाएं पहुंचाना ज़रूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि, हमास कभी यह मंज़ूर नहीं करेगा कि, हमारे लोगों की तकलीफ और बहता खून इज़रायल के राजनीतिक मंसूबों और बातचीत की चालों में इस्तेमाल हो।
अल-अरबिया के मुताबिक उन्होंने ग़ाज़ा में पैराशूट से की जा रही खाद्य सामग्री की आपूर्ति को नाकाफी और दिखावटी करार देते हुए कहा: “हर 5 एयर ड्रॉप एक छोटे ट्रक जितनी मदद भी नहीं होते। ये असली जुल्म पर पर्दा डालने की नाकाम कोशिश है। उधर, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों के मुताबिक ग़ाज़ा इस वक़्त एक भयावह मानवीय संकट का सामना कर रहा है, जहां खाने, दवाओं और ईंधन की भीषण कमी है और इज़रायली घेराबंदी ने सभी रास्ते बंद कर दिए हैं, जिससे हालात और भी बदतर हो गए हैं।

