ब्रिटेन सरकार, हम पर उस चीज का आरोप लगा रही, जिसमें वह खुद माहिर है: ईरान
ब्रिटेन सरकार द्वारा ईरान सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ निगरानी उपायों को कड़े करने की घोषणा और इस देश के सुरक्षा मंत्री के उस बयान, जिसमें उन्होंने “विदेशी प्रभाव पंजीकरण योजना” में ईरान को “उन्नत श्रेणी” में शामिल करने की बात कही, जिस पर गुरुवार 6 मार्च को ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बक़ाई की प्रतिक्रिया सामने आई।
इस संबंध में उन्होंने एक संदेश में कहा कि ब्रिटेन सरकार ईरानियों के प्रति अपनी अव्यावहारिक और द्वेषपूर्ण मानसिकता पर अड़ी हुई है, ताकि वह अपने अपराधों को छुपा सके – चाहे वह फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ नरसंहार का समर्थन हो या फिर ईरान विरोधी आतंकवाद को बढ़ावा देना, जिसकी जड़ें 1953 ईरान तख्तापलट तक जाती हैं, जब ब्रिटेन ने जनता द्वारा चुनी गई सरकार के खिलाफ साजिश रची थी, और यह घटना कभी भी हमारी यादों से मिट नहीं सकती।
बक़ाई ने ब्रिटिश अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, “यह एक घटिया बचाव है कि आप ईरान पर उसी चीज का आरोप लगाएं, जिसमें खुद आप निपुण हैं –यानी राष्ट्रों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप! विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा, “लेकिन अब उन्नीसवीं सदी नहीं रही। जो भी सरकार ईरानी जनता पर बेबुनियाद आरोप लगाएगी या उनके खिलाफ शत्रुतापूर्ण कदम उठाएगी, उसे जवाबदेह होना पड़ेगा।”
बक़ाई का यह इशारा 19वीं सदी के ब्रिटिश साम्राज्य की ओर था, जिसे “वह दौर जब ब्रिटेन में सूरज नहीं डूबता था” कहा जाता था और इसे ब्रिटिश साम्राज्य के स्वर्ण युग के रूप में देखा जाता है।
फार्स न्यूज के अनुसार, “विदेशी प्रभाव पंजीकरण योजना” ब्रिटेन में विदेशी सरकारों के एजेंटों की गतिविधियों की निगरानी के लिए बनाई गई है। इस नए कदम के तहत, ईरानी सरकार के कर्मचारी या जो भी ब्रिटेन में ईरान सरकार की ओर से गतिविधियां कर रहे हैं, उन्हें इस योजना के तहत अपना नाम पंजीकृत कराना होगा।
ब्रिटिश सरकार के अनुसार, यदि ईरान सरकार के कर्मचारी इस नियम का पालन नहीं करते हैं, तो यह एक आपराधिक कृत्य माना जाएगा, जो अधिकतम 5 साल की कैद तक की सजा का कारण बन सकता है।
इस्माइल बक़ाई ने बुधवार 5 मार्च को भी ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर लगाए गए उस आरोप को बेबुनियाद बताया था, जिसमें कहा गया था कि ईरान ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों को सलाह दी कि वे ईरान के खिलाफ शत्रुतापूर्ण नीतियों और निराधार आरोपों पर जोर देने के बजाय, ईरानी जनता के खिलाफ अपनी गलत नीतियों को त्यागें और आतंकवाद को बढ़ावा देने व उसे प्रोत्साहित करने से बाज आएं।