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यमन पर आतंकी हमले, ग़ाज़ा के प्रति हमारे समर्थन को नहीं रोक सकते: अंसारुल्लाह

यमन पर आतंकी हमले, ग़ाज़ा के प्रति हमारे समर्थन को नहीं रोक सकते: अंसारुल्लाह

यमन की उच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली अल-हूती ने अमेरिका के यमन पर किए गए हमलों की निंदा करते हुए इन्हें आतंकवादी कार्रवाई करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन हमलों का मुख्य उद्देश्य इज़रायली शासन को ग़ाज़ा में किए जा रहे जनसंहार में समर्थन प्रदान करना है। उन्होंने दो टूक कहा कि यमन के खिलाफ ये आतंकी कार्रवाइयां किसी भी हालत में अंसारुल्लाह के ग़ाज़ा के समर्थन को कमजोर नहीं कर पाएंगी।

अमेरिकी विमान गिरने की सच्चाई छुपाने का आरोप
मोहम्मद अली अल-हूती ने आरोप लगाया कि अमेरिकी केंद्रीय कमान (सेंटकॉम) अपने विमान के गिरने की सच्चाई को छुपा रही है ताकि उसके सैनिकों का मनोबल और अधिक न गिर जाए। उनका कहना है कि अमेरिका का यह रवैया दिखाता है कि वह अपने सैन्य अभियानों में आ रही असफलताओं को छुपाने की कोशिश कर रहा है।

सना और अल-हुदैदा पर हवाई हमले
शनिवार देर रात यमनी सूत्रों ने यह सूचना दी कि अमेरिकी युद्धक विमानों ने यमन की राजधानी सना के दक्षिण में स्थित ‘जबल अत्तान’ क्षेत्र को निशाना बनाया। इसके बाद अमेरिकी केंद्रीय कमान ने एक बयान जारी कर कहा कि यह हमला एक मिसाइल भंडारण केंद्र और हूतियों के कमांड एवं नियंत्रण केंद्र पर किया गया। अमेरिकी सेना ने दावा किया कि ये हमले लाल सागर में अमेरिकी और मित्र देशों के युद्धपोतों को हूती बलों के ड्रोन और मिसाइल हमलों से बचाने के लिए किए गए हैं।

लाल सागर में बढ़ते तनाव
सेंटकॉम ने यह भी कहा कि हवाई हमलों के साथ-साथ, यमन से दागे गए एंटी-शिप ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलों को लाल सागर के ऊपर ट्रैक किया गया। अमेरिकी सेना का कहना है कि ये हमले हूती बलों की गतिविधियों को रोकने के लिए किए जा रहे हैं।

अल-मयादीन नेटवर्क के मुताबिक, अमेरिकी युद्धक विमानों ने अल-हुदैदा प्रांत के अल-लहिया जिले में ‘जबल अल-जद’ क्षेत्र पर भी बमबारी की। यह हमला यमन के पश्चिमी क्षेत्र में स्थिति को और अधिक खराब करने की कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है।

ग़ाज़ा के समर्थन पर यमन का अडिग रुख
अल-हूती ने इस बात को दोहराया कि यमन और अंसारुल्लाह ग़ाज़ा के समर्थन में हमेशा खड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि यमन पर इस तरह के हमले उनकी प्रतिबद्धता को कमजोर नहीं कर सकते। अंसारुल्लाह ने ग़ाज़ा के लिए अपने समर्थन को अपनी प्राथमिकता बताते हुए जोर दिया कि वे इज़रायल और अमेरिका के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखेंगे।

यमन पर बढ़ते हमले और लाल सागर में बढ़ते तनाव यह दर्शाते हैं कि अमेरिका इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बनाए रखने और होती बलों की ताकत को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रहा है। लेकिन अंसारुल्लाह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इन हमलों के बावजूद ग़ज़ा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटेंगे। इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ने की संभावना है।

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