तेल अवीव: ग़ाज़ा के समर्थन में यमन ने इज़रायल पर मिसाइल दाग़ी
एक ओर जहां इज़रायल लगातार ग़ाज़ा और पश्चिम एशिया में अपनी विस्तारवादी नीतियों और सैन्य हमलों से तबाही मचा रहा है, वहीं यमन ने एक बार फिर ज़ायोनी शासन को यह साफ़ कर दिया है कि, अब हमला एकतरफ़ा नहीं रहेगा। यमन की ओर से दागी गई मिसाइल ने सीधे तौर पर इज़रायल के सबसे संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें बेन-गुरियन इंटरनेशनल एयरपोर्ट शामिल है।
इज़रायली अख़बार ‘ ‘यादीत अहिरानी” के मुताबिक, यमन से दागे गए इस मिसाइल को भले ही इज़रायली डिफेंस सिस्टम ने ट्रैक करने का दावा किया हो, लेकिन जिस तरह से तेल अवीव, पश्चिमी येरुशलम और नगेब के बड़े हिस्सों में सायरन गूंजे और हवाई अड्डे की उड़ानें रद्द करनी पड़ीं, उससे साफ़ है कि यह हमला मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर भारी साबित हुआ।
ज़ायोनी शासन की घरेलू सैन्य कमान ने लोगों को चेतावनी जारी करते हुए कई इलाकों में अलर्ट घोषित किया है। सच्चाई यह है कि अब इज़रायल खुद को भी सुरक्षित नहीं रख पा रहा। यह वही इज़रायल है जो दुनिया को अपनी तथाकथित सुरक्षा तकनीक बेचता है लेकिन अब वह खुद मिसाइलों से काँप रहा है।
यमन की सशस्त्र सेनाओं ने अब तक 45 बैलिस्टिक मिसाइलें इज़रायल की तरफ़ दागी हैं, और उनमें से 5 पिछले एक हफ्ते में ही। ये हमले कोई आकस्मिक घटनाएँ नहीं, बल्कि ज़ुल्म और आक्रमण के खिलाफ़ खड़ी होती मज़लूम क़ौमों की इंक़लाबी आवाज़ हैं। इज़रायल जो सोचता था कि यमन एक कमजोर देश है, अब उसे हर मिसाइल यह बताने लगी है कि इस इलाक़े की जनता जाग चुकी है। बेन-गुरियन एयरपोर्ट का रुकना सिर्फ़ एक तकनीकी ख़राबी नहीं, बल्कि इज़रायल की गिरती हुई हुकूमत की निशानी है।
यमन के इन हमलों ने यह साफ़ कर दिया है कि ज़ायोनी सत्ता अब सिर्फ़ बचाव में है – हमला करने की ताक़त धीरे-धीरे उसके हाथ से फिसलती जा रही है। और यह सब तब हो रहा है जब इज़रायल खुद को ‘अजेय’ समझता था। अब सवाल ये नहीं कि यमन ने हमला क्यों किया? सवाल ये है कि ज़ुल्म करने वाला कब तक जवाब से बचता रहेगा?

