ईरान और इस्राईल में छिड़ा टैंकर वॉर, क्या होगा नतीजा ?

इस्राईल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) हालाँकि अरब देशों को दो शिविरों में बांटने में सफल हो गए हैं पहला गुट वह जो इस्राईल (Israel) के साथ संबंधों को सामान्य कर चुके हैं या सामान्यकरण के समर्थक हैं दूसरा वह जो प्रतिरोधी मोर्चे में खड़े हैं।

अरब देशों को दो गुटों में बांटने के बाद लगता है नेतन्याहू ईरान के साथ सैन्य टकराव की योजना बना रहे हैं ताकि आगामी चुनाव में उसका लाभ उठाया जा सके। और यह बात उनके बयानों से भी साबित होती है।

बाँटना और सत्ता हथियाना नेतन्याहू की पुराना और सफल प्रयोग है। इस समय वह जार्डन के विभाजन की कोशिश कर रहे हैं। वह पूर्वी जार्डन के लोगों और फिलिस्तीनियों के बीच में विभाजन चाहते हैं। जार्डन के युवराज को मस्दिजुल अक्सा में प्रवेश न देने का मामला उसी ड्रामे का हिस्सा है।

वॉल स्ट्रीट जरनल की रिपोर्ट के अनुसार जिसके इस्राईली अधिकारियों ने भी पुष्टि की कि “इस्राईली नौसेना ने गत दो वर्षों के दौरान ईरान के 12 तेल वाहक जहाज़ों को निशाना बनाया है जिसका अंतिम मामला पिछले हफ्ते था। यह रिपोर्ट साफ़ दर्शाती है कि नेतन्याहू आंशिक या व्यापक सैन्य टकराव के प्रयास में हैं ताकि वह अपनी सत्ता को और अधिक समय तक बचाये रख सकें।

नेतन्याहू वास्तव में अगर ऐसी किइस योजना पर कमा कर रहे हैं तो यह उनकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है सिर्फ उनके ही लिएनहीं बल्कि यह दांव अमेरिका के लिए भी महंगा पड़ सकता है जो इस समय इराक और अफ़ग़ानिस्तान की दलदल में फंसा हुआ है। और उसके सामने रूस, चीन, ईरान और उत्तरी कोरिया का मज़बूत मोर्चा तेज़ी से उभर रहा है।

दूसरी ओर इस्राईल पांच लाख से अधिक लक्ष्य को सटीकता से भेदने वाली मिसाइलों से घिरा हुआ है अगर युद्ध की आग भड़की तो सब न सही, मगर अधिकांश जलमार्ग खतरनाक हो जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक़ कहा जा सकता है कि दो हफ्ते पहले ओमान की खाड़ी में इस्राईली जहाज़ पर जो हमला हुआ था वह इस्राईली हमलों के जवाब की शुरुआत भी हो सकता है।

ईरान और यमन, लेबनान और इराक़ में उसके घटक, लाल सागर, भूमध्य सागर, परशियन गल्फ और, हुरमुज़ स्ट्रेट, बाबुल मंदब स्ट्रेट और ओकबा खाड़ी पर छाए हुए हैं। ओमान की खाड़ी में इस्राईली जहाज़ पर हमला करने वाला अन्य जगहों पर भी आसानी से दूसरे जहाज़ों को निशाना बना सकता है। प्रतिरोधी मोर्चे की महारत और दक्षता से जुड़ी यह बात बताना भी दिलचस्पी भरा होगा कि सन 2006 के युद्ध में ही हिज़्बुल्लाह ने बैरुत पर गोलाबारी करने वाले एक इस्राईली युद्धपोत को सटीक निशाना लगा कर तबाह कर दिया था।

अगर आयल टैंकर युद्ध होता है तो इस्राईल को इस युद्ध में जीत मिलने की दूर दूर तक कोई संभावना नहीं है। नेतन्याहू जो पिछले कुछ समय से कह रहे हैं कि हम सीरिया में ईरान को पैर नहीं जमाने देंगे और उसे परमाणु हथियार भी नहीं बनाने देंगे चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े तो यह सिर्फ एक चुनावी जुमला है। इस्राईल लगातार पिछले तीन साल से सीरिया में हमले कर रहा है लेकिन इससे न तो ईरान की उपस्थिति कम हुई और न ही उससे संबंधित संगठनों की वहां गतिविधियों पर कोई असर पड़ा बल्कि अब हालात और ईरान के पक्ष में हैं।

 

MAULAI G

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Hot Topics

Related Articles