सीरिया का राजनीतिक संकट और इज़रायल का दोहरा चरित्र
सीरिया का गृहयुद्ध, जो 2011 से जारी है, ने देश को राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य दृष्टि से कमजोर कर दिया है। बशार-अल-असद की सरकार ने विद्रोहियों और विभिन्न सशस्त्र समूहों के खिलाफ संघर्ष किया, जबकि इज़रायल ने इस मौके का फायदा उठाया है। बशर-अल-असद की सरकार के खिलाफ विद्रोहियों की सफलता ने इज़रायल को सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने और अपने उद्देश्यों को पूरा करने का अवसर दे दिया है। जिस जूलानी को कभी अमेरिका और इज़रायल आतंकवादी कहते थे अब उसी के द्वारा सीरिया के तख़्ता पलट के बाद इज़रायल सीरिया में बमबारी करके पूरे सीरिया को अपने कंट्रोल में लेना चाहता है। आतंकवाद के विरुद्ध इज़रायल का दोहरा चरित्र अब सबके सामने आ चुका है।
इज़रायल का सैन्य आक्रमण:
इज़रायल ने हाल ही में सीरिया पर बड़े पैमाने पर हमले किए हैं, जिनमें हवाई हमले और जमीनी घुसपैठ शामिल हैं। चैनल 12 के अनुसार, इज़रायल की वायुसेना सीरिया में अभी भी सख्ती से ऑपरेशन्स चला रही है, विशेष रूप से उन सैन्य उपकरणों को नष्ट कर रही है, जो सीरियाई सेना के पास बची हुई हैं। यह हमला ऐसे समय में हो रहा है जब सीरिया के पास अपनी सेना को पुनः संगठित करने और रक्षा में सुधार करने का सीमित समय और संसाधन हैं।
फिलिस्तीनी प्रतिरोध का विरोध
फिलिस्तीनी प्रतिरोध संगठन “मुजाहिदीन फिलिस्तीन” ने इज़रायल के इस आक्रमण की कड़ी निंदा की है। यह प्रतिरोध संगठन, जो फिलिस्तीनी अधिकारों और इज़रायल के खिलाफ संघर्ष में सक्रिय है, ने इस आक्रमण को “सीरिया की संप्रभुता का उल्लंघन” और “इज़रायल के विस्तारवादी उद्देश्य” के रूप में देखा है। फिलिस्तीनी मुजाहिदीन का कहना है कि इस तरह के हमले केवल क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ाते हैं और सीरिया की आंतरिक समस्याओं को और जटिल बनाते हैं।
इज़रायल के क्षेत्रीय उद्देश्य
इज़रायल का सीरिया में इस प्रकार का सैन्य हस्तक्षेप केवल सीरिया तक सीमित नहीं है। इज़रायल के लिए यह रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि वह सीरिया को कमजोर कर, इस्लामी प्रतिरोध समूहों, जैसे हिज़्बुल्लाह और ईरान समर्थित मिलिशिया, के प्रभाव को कम करने का प्रयास कर रहा है। इसके अतिरिक्त, इज़रायल सीरिया के ज़ैनबिया क्षेत्र और दमिश्क़ जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर अपनी नियंत्रण बढ़ाने का इरादा रखता है, जिससे उसके सामरिक और सुरक्षा हितों की रक्षा हो सके। यह भी वास्तविकता है कि, असद सरकार ग़ाज़ा में इज़रायली अपराधों के ख़िलाफ़ और और वहां के पीड़ितों के समर्थन में खुलकर खड़ी थी। असद सरकार ने ग़ाज़ा के समर्थन में लड़ने वाले सभी फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूह को खुले तौर पर हर प्रकार की का कारण बना।
इज़रायल के इस आक्रमण की प्रतिक्रिया केवल फिलिस्तीन तक सीमित नहीं है। कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसकी आलोचना हो रही है, और यह एक बार फिर से इज़रायल और उसके विरोधियों के बीच की लंबी और गहरी चल रही राजनीतिक और सैन्य संघर्ष को उजागर करता है। यह संघर्ष न केवल सीरिया और फिलिस्तीनी क्षेत्रों के लिए, बल्कि समग्र मध्य पूर्व के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें प्रमुख वैश्विक ताकतों का भी हस्तक्षेप है, जैसे कि अमेरिका, रूस और ईरान। इस प्रकार, इज़रायल द्वारा सीरिया पर हमला, न केवल एक सैन्य अभियान है, बल्कि एक जटिल रणनीतिक खेल का हिस्सा है, जिसमें क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शक्तियाँ विभिन्न तरीकों से प्रभाव डालने का प्रयास कर रही हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।