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सूडानी  सेना ने आम भर्ती (जनरल मोबिलाइज़ेशन) का ऐलान किया

सूडानी  सेना ने आम भर्ती (जनरल मोबिलाइज़ेशन) का ऐलान किया

सूडानी सेना के कमांडर ने शुक्रवार को देशभर में आम महासंचालन का ऐलान किया ताकि लोग “रैपिड सपोर्ट फोर्सेज” के खिलाफ सेना का साथ दे सकें। अब्दुल फत्ताह अल-बुरहान, जो सूदान की संप्रभु परिषद के प्रमुख भी हैं, ने यह घोषणा अल-जज़ीरा राज्य के अल-सरीहा इलाके के दौरे के दौरान की, जहां हाल के दिनों में भारी हत्याकांड हुए हैं।

उन्होंने कहा कि, सूडानी सरकार सुरक्षा चुनौतियों से निपटने और नागरिकों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। कमांडर ने चेतावनी दी कि, अल-सरीहा में हुआ नरसंहार एक गंभीर अपराध है और इसके जिम्मेदार लोगों को निश्चित रूप से सज़ा मिलेगी। सेना ने भी कहा कि उसके अभियान तब तक जारी रहेंगे, जब तक इस राज्य में सुरक्षा और स्थिरता बहाल नहीं हो जाती।

कुछ दिन पहले ही सूडान की सुरक्षा और रक्षा परिषद ने देश की सशस्त्र सेनाओं के लिए आम महासंचालन का एलान किया था और जनता से “रैपिड सपोर्ट फोर्सेज की बगावत को दबाने” में मदद करने की अपील की थी। यह फैसला 13 नवंबर को हुई परिषद की आकस्मिक बैठक में लिया गया, जहां इस बात पर चर्चा हुई कि अल-फ़ाशर जैसी त्रासदी दोबारा न हो।

26 अक्टूबर 2025 से अब तक अल-फ़ाशर में 2500 से ज्यादा नागरिकों को या तो फांसी दी गई या मार दिया गया। यह हत्याएं रैपिड सपोर्ट फोर्सेज द्वारा शहर पर कब्ज़ा करने के बाद हुईं। अल-फ़ाशर दारफुर में सूडानी सेना का आखिरी बड़ा ठिकाना था। परिषद के एक सदस्य ने कहा कि जब तक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज क़ब्ज़ाए हुए शहरों से बाहर नहीं निकलती और हथियार नहीं छोड़ती, कोई भी युद्ध-विराम संभव नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने भी सर्वसम्मति से अल-फ़ाशर में हुए अत्याचारों की जांच के लिए एक तथ्य-खोज (फैक्ट-फाइंडिंग) टीम गठित करने की मंज़ूरी दे दी है। साथ ही परिषद ने अपने प्रस्ताव में अल-फ़ाशर और कादुगली में मौजूद अकाल की आधिकारिक पुष्टि की और चेतावनी दी कि लगातार जारी संघर्ष के कारण नागरिकों में भुखमरी और बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है।

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