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रूस-ईरान के बीच रणनीतिक समझौता जनवरी के मध्य में संभव

रूस-ईरान के बीच रणनीतिक समझौता जनवरी के मध्य में संभव

रूस की स्टेट ड्यूमा (पार्लियामेंट का निचला सदन) के एक प्रमुख सदस्य कॉन्स्टेंटिन ज़ाटोलिन ने आज घोषणा की कि रूस और ईरान के बीच एक विस्तृत रणनीतिक साझेदारी समझौता जनवरी 2025 के मध्य में मास्को में हस्ताक्षरित होने की संभावना है। यह समझौता दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का प्रतीक माना जा रहा है और इसे क्षेत्रीय तथा वैश्विक राजनीति के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण समझा जा रहा है।

अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट और राजनीतिक समय सीमा
अमेरिकी साप्ताहिक पत्रिका न्यूजवीक ने हाल ही में रिपोर्ट किया कि यह समझौता 20 जनवरी 2025, यानी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से पहले हो सकता है। यह समय सीमा इस समझौते के रणनीतिक महत्व को और अधिक स्पष्ट करती है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम अमेरिका और पश्चिमी देशों को एक कड़ा संदेश देने के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि यह रूस और ईरान के बीच बढ़ते गठजोड़ को रेखांकित करता है।

रूस के विदेश मंत्री और उपमंत्री के बयान
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले अक्टूबर में बयान दिया था कि यह नया रणनीतिक समझौता जल्द ही तैयार होगा और हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद, उनके डिप्टी आंद्रेई रूडेंको ने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि इस समझौते में सैन्य और रक्षा क्षेत्रों का भी समावेश होगा। यह दर्शाता है कि रूस और ईरान न केवल आर्थिक और राजनयिक स्तर पर, बल्कि सुरक्षा और सैन्य सहयोग में भी अपनी भागीदारी को मजबूत कर रहे हैं।

ईरान के राजदूत का आश्वासन
मास्को में ईरान के राजदूत काज़िम जलाली ने हाल ही में इस समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दस्तावेज़ को पूरी तरह तैयार और अंतिम रूप दिया जा चुका है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसे हस्ताक्षरित करने में अब कोई कानूनी या तकनीकी बाधा नहीं है। उनके अनुसार, यह समझौता रूस और ईरान के संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

समझौते का संभावित प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता न केवल रूस और ईरान के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी एक बड़ा बदलाव लाएगा।

सैन्य सहयोग: दोनों देश मिलकर रक्षा और सैन्य क्षेत्र में नई परियोजनाएं शुरू कर सकते हैं, जो पश्चिमी देशों के लिए चुनौती बन सकती हैं।

आर्थिक साझेदारी: यह समझौता ऊर्जा, व्यापार और बुनियादी ढांचे के विकास में भी सहयोग को प्रोत्साहित करेगा।

वैश्विक प्रभाव: अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बीच, यह समझौता रूस और ईरान को अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मजबूती से खड़ा करेगा। यह समझौता रूस और ईरान के बढ़ते रणनीतिक संबंधों का प्रमाण है, जो दोनों देशों को पश्चिमी प्रभाव से स्वतंत्र होने और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को मजबूत करने में मदद करेगा। आने वाले दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह साझेदारी क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति संतुलन को कैसे प्रभावित करती है।

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