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पश्चिमी देशों का यूरोप के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार पर अजीब हमला!

पश्चिमी देशों का यूरोप के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार पर अजीब हमला! कई पूर्व सरकारी अधिकारियों से संबद्ध एक ऑनलाइन समाचार साइट ने एक विश्लेषण में लिखा कि स्वाभाविक रूप से  संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और उनके घरेलू समर्थक चीन के साथ दीर्घकालिक साझेदारी में ईरान के प्रवेश का विरोध कर रहे हैं। कुछ विश्लेषकों के अनुसार ईरान की तुलना में विश्व अर्थव्यवस्था और राजनीति के भविष्य में चीन की अपूरणीय स्थिति के बारे में बेहतर जानते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार  2021 की दूसरी तिमाही में  चीन कमोडिटी क्षेत्र में यूरोप का सबसे बड़ा और पहला व्यापारिक भागीदार बन गया हैं जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका को दूसरा स्थान पर फ़ेंक दिया है। दूसरी ओर  चीन दुनिया भर में व्यापारिक भागीदारों के अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने का प्रयास कर रहा है  और अत्यधिक व्यावहारिक विदेश नीति के ढांचे के भीतर  देशों को “ग्राहक” या “साझेदार” या “आर्थिक साझेदार” के रूप में खोजने का प्रयास कर रहा है।

ऐसे समय में जब संयुक्त राज्य अमेरिका, दमनकारी प्रतिबंधों के दबाव के साथ  ईरानी अर्थव्यवस्था को और अधिक संकट में डालना चाहता है, प्रतिबंध-विरोधी दृष्टिकोण वाली कोई भी रणनीति “काले और विरोधी” के मुद्दे को संबोधित करने के लिए पश्चिमी प्रचार के साथ भारी सामना कर रही है। 2020 में भारत का चीन से कुल 58.7 बिलियन डॉलर का आयात रहा अमेरिका और यूएई से किए गए संयुक्त आयात से ज्यादा है। अमेरिका और यूएई भारत के क्रमशः दूसरे और तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। भारत ने कोरोनो महामारी के दौरान होने वाली मांग के बीच अपने एशियाई पड़ोसी से आयात कम करने के लिए कई प्रबंधन के हैं। जबकि उसका निर्यात 2019 की तुलना में 11 फीसदी बढ़कर 19 अरब डॉलर पहुंच गया।

हालांकि चीन की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के कारण पहली तिमाही में ख़राब हो गई थी, लेकिन साल के आख़िर में आर्थिक स्थिति सुधरने के कारण यूरोपीय संघ के सामानों की मांग बढ़ी। वर्ष 2020 में प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में चीन ही एकमात्र देश था, जहां आर्थिक विकास देखा गया। इस बीच मेडिकल उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक्स की भारी मांग के कारण यूरोप में चीन के निर्यात को भी फ़ायदा मिला।

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