ग़ाज़ा युद्ध-विराम समझौते पर ईरानी विदेश मंत्रालय का बयान
ईरान के इस्लामी गणराज्य के विदेश मंत्रालय ने ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध-विराम समझौते के संदर्भ में निम्नलिखित बयान जारी किया है।
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम
“अत: धैर्य रखें, निस्संदेह अल्लाह का वादा सत्य है। जो लोग यकीन नहीं रखते, वे आपको हल्के में न लें।”
ईरान का इस्लामी गणराज्य का विदेश मंत्रालय ग़ाज़ा पट्टी में युद्ध-विराम समझौते को ऐतिहासिक जीत मानते हुए, इसे फिलिस्तीन और ग़ाज़ा के साहसी, निडर और अद्वितीय संघर्ष व बलिदान का परिणाम करार देता है। यह समझौता ग़ाज़ा के लोगों की एकता और जबरन विस्थापन के खिलाफ उनकी वीरतापूर्ण प्रतिरोध का प्रमाण है। इस जीत के लिए फिलिस्तीन की जनता, प्रतिरोध आंदोलन, और उनके समर्थकों को बधाई दी जाती है।
इज़रायल के कब्जाधारी और नरसंहारकारी शासन ने बीते 15 महीनों में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और मानवीय कानूनों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए फिलिस्तीन के “औपनिवेशिक उन्मूलन” के अपने पुराने एजेंडे को बर्बरता के नए स्तर तक पहुंचा दिया। इस दौरान महिलाओं और बच्चों की हत्या, घरों और बुनियादी ढांचों को नष्ट करना, अस्पतालों और स्कूलों पर हमले, और पत्रकारों व डॉक्टरों को निशाना बनाना जैसे अपराध लगातार किए गए। इन घटनाओं का मकसद फिलिस्तीन को मिटाना और प्रतिरोध की भावना को तोड़ना था।
इन अपराधों को अंजाम देने में इज़रायल को अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और कुछ अन्य पश्चिमी देशों का सैन्य, वित्तीय और राजनीतिक समर्थन प्राप्त था। इन देशों ने संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय अदालतों को प्रभावी कार्रवाई करने से रोका। ये देश इन अपराधों में भागीदार हैं और उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
उम्मीद है कि इस युद्ध-विराम के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय और ज़िम्मेदार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मदद से ग़ाज़ा में नरसंहार को रोकने, कब्जाधारियों को हटाने, तत्काल राहत पहुंचाने और पुनर्निर्माण शुरू करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
इसके साथ ही, पश्चिमी तट में मानवाधिकारों के उल्लंघन और अल-अक्सा मस्जिद पर लगातार हमलों पर भी वैश्विक ध्यान केंद्रित होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इज़रायली शासन के अपराधों को रोकने और उनके नेताओं को न्याय के कटघरे में लाने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए।
हम इज़रायल के अन्याय और कब्जे के खिलाफ शहीद हुए प्रतिरोध आंदोलन के सभी वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। विशेष रूप से, इस्माइल हानिये, यहिया सिनवार, सैयद हसन नसरुल्लाह, और अन्य बहादुरों के बलिदान को सलाम करते हुए, उनके रास्ते पर चलने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।