ईरान से बातचीत के बाद, इंग्लैंड, जर्मनी और फ्रांस का बयान
जिनेवा में इस्लामी गणराज्य ईरान के साथ हुई ताजा वार्ता के बाद इंग्लैंड, जर्मनी और फ्रांस ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इस बयान में तीनों देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम, प्रतिबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की जानकारी दी है।
वार्ता का फोकस: जिनेवा में हुई इन वार्ताओं का मुख्य फोकस ईरान के परमाणु कार्यक्रम और ईरान पर लगे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के साथ-साथ द्विपक्षीय रिश्तों और क्षेत्रीय स्थिति के मुद्दों पर था। यह वार्ता ईरान और यूरोपीय त्रॉयका (इंग्लैंड, जर्मनी और फ्रांस) के बीच 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के बाद हुई, जिसमें पहले न्यूयॉर्क में इसी विषय पर चर्चा की गई थी। जिनेवा वार्ता का उद्देश्य ईरान और यूरोपीय देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श और स्थिति का मूल्यांकन करना था।
ईरान की प्रतिक्रिया: ईरान के विदेश मंत्रालय के अंतर्राष्ट्रीय और कानूनी मामलों के उप मंत्री काज़िम ग़रीबाबादी ने वार्ता के बाद कहा, “हमने फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड के राजनीतिक अधिकारियों के साथ एक और दौर की बातचीत की, जिसमें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों, विशेष रूप से परमाणु मुद्दे और प्रतिबंध हटाने पर चर्चा की गई।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ईरान अपने लोगों के हितों को बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और उनका प्राथमिक उद्देश्य संवाद और सहयोग के जरिए समस्याओं का हल निकालना है।
कूटनीतिक वार्ता का भविष्य: ग़रीबाबादी ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच इस बार की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि निकट भविष्य में कूटनीतिक वार्ताओं को जारी रखा जाएगा।
यूरोपीय देशों का संयुक्त बयान: जर्मनी के विदेश मंत्रालय, फ्रांस के विदेश मंत्रालय की राजनीतिक निदेशक फेडेरिक मोल्डोनी और इंग्लैंड के विदेश मंत्रालय के राजनीतिक निदेशक क्रिस्टियन टर्नर ने भी जिनेवा में हुई वार्ता के बारे में ट्विटर (अब एक्स) पर एक साझा संदेश जारी किया। उन्होंने लिखा, “आज जिनेवा में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजनीतिक निदेशकों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम, प्रतिबंधों, द्विपक्षीय मुद्दों और क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा की। हमने सहमति जताई कि निकट भविष्य में कूटनीतिक वार्ता को जारी रखा जाएगा।”
इस वार्ता से यह स्पष्ट होता है कि ईरान और यूरोपीय देशों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श जारी रहेगा, और भविष्य में इन कूटनीतिक चर्चाओं से क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर कोई ठोस समाधान निकलने की संभावना है।


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