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इज़रायल में नेतन्याहू के सामने लगे ‘शर्म करो’ के नारे, प्रदर्शनकारियों ने भाषण देने से रोका 

इज़रायल में नेतन्याहू के सामने लगे ‘शर्म करो’ के नारे, प्रदर्शनकारियों ने भाषण देने से रोका 

ग़ाज़ा पट्टी में हाल ही में हुए संघर्षों के बाद इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को अपने ही देश में भारी विरोध और सार्वजनिक आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। हालात उस समय गंभीर हो गए जब रविवार को तेल अवीव में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम में नेतन्याहू को श्रद्धांजलि देने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह कार्यक्रम उन इज़रायली नागरिकों की याद में आयोजित किया गया था, जो हमास के हालिया हमले में मारे गए थे।

प्रारंभिक कार्यक्रम के दौरान माहौल शांतिपूर्ण था, लेकिन जैसे ही नेतन्याहू भाषण देने के लिए मंच पर पहुंचे और मृतकों को श्रद्धांजलि देना शुरू किया, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों ने ‘शर्म करो, शर्म करो’ के नारे लगाकर अपनी नाराजगी जताई। उनका गुस्सा इज़रायली सरकार की नीतियों और नेतन्याहू की नेतृत्व क्षमता पर था, खासकर इस बात को लेकर कि हमास की गिरफ्त में मौजूद सैकड़ों इज़रायली अब तक छुड़ाए नहीं जा सके हैं।

प्रदर्शनकारियों की नाराजगी इस हद तक बढ़ी कि नेतन्याहू को अपना भाषण बीच में ही रोकना पड़ा। उनके प्रयासों के बावजूद भीड़ को शांत नहीं किया जा सका। लोग लगातार नेतन्याहू से इस्तीफा देने की मांग करते रहे और उनकी सरकार की आलोचना करते रहे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की संख्या और नारों की आवाज़ इतनी तेज़ हो गई कि मंच पर नेतन्याहू को बेबस होकर खड़ा रहना पड़ा।

इस घटना को पूरे इज़रायल में लाइव प्रसारित किया जा रहा था, क्योंकि यह एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि का कार्यक्रम था। प्रदर्शनकारियों ने अपने नारों और बैनरों के माध्यम से पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया। कई लोगों का मानना है कि यह घटना नेतन्याहू के नेतृत्व पर एक बड़ा सवालिया निशान है और यह उनकी सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण समय की शुरुआत को दर्शाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, ग़ाज़ा में हालिया संघर्षों और हमास के हमलों ने इज़रायल में सुरक्षा की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। इस तरह के प्रदर्शन इज़रायली समाज में बढ़ते असंतोष और नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ गहराते विरोध का संकेत दे रहे हैं। अब देखना यह है कि नेतन्याहू इस राजनीतिक संकट से कैसे निपटते हैं और क्या वह प्रदर्शनकारियों की नाराजगी को शांत कर सकेंगे।

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