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ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के सीक्रेट मिशन का खुलासा – 3

ईरान के परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के सीक्रेट मिशन का खुलासा – 3 एक एजेंट के मुताबिक, तस्करी के माध्यम से  ईरान तक  इस्राईल ने उस बंदूक को पहुंचाया था।

ईराम तक इस बंदूक को पहुंचाने के लिए कई भागों में बाँटा गया था । रिपोर्ट के मुताबिक, इस बंदूक को कई हिस्सों में बांटा गया था और एक एक हिस्से को कई महीनों में उस जगह पर पहुंचाया गया था, जहां से गोली चलाई जानी थी।

एजेंट ने कहा कि जब मशीन गन को ईरान में पहुंचाने के बाद जोड़ा गया, तो उसका वजन करीब एक टन था। मशीन गन को तब नीले निशान ज़ामयाद पिकअप ट्रक के पीछे फिट किया गया था, जो सड़क के किनारे तैनात था। मशीन गन को छिपाने के लिए एक तिरपाल का इस्तेमाल किया गया था।

ईरान में मौजूद मोसाद के एजेंट्स इस सेटअप को तैयार कर रहे थे। पिकअप वैन में भी कैमरे लगाए गये थे, ताकि पूरे इलाके की तस्वीरें लगातार मिल सकें। पिकअब वैन और मशीन गन में जो कैमरे लगे थे, उसकी तस्वीरों को सैटेलाइट के जरिए स्नाइपर को भेजा जाना था और इस पूरी प्रक्रिया में 1.6 सेकेंड्स की देरी हो रही थी। लिहाजा समय को मिलाने के लिए भी अलग से काम किया गया, क्योंकि 1.6 सेकेंड में टार्गेट की गाड़ी काफी आगे बढ़ चुकी होती। इसके साथ ही हर राउंड की फायरिंग के साथ ही पिकअप ट्रक में भी हलचल पैदा होता, लिहाजा गलती की कोई गुंजाइश नहीं थी। 1.6 सेकेंड्स के इस अंतर को खत्म करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद ली गई थी।

पूरा सेटअप तैयार करने के बाद सबूतों को मिटाने की भी जरूरत थी और सबसे बड़ा सबूत पिकअप वैन में ही लदा हुआ था, करीब एक टन का मशीन गन और कैमरे। लिहाजा, मिशन को अंजाम देने के बाद सबूतों को मिटाने के लिए पिकअप वैन को विस्फोट के जरिए उड़ाने की प्लानिंग की गई थी। लिहाजा पिकअप वैन में विस्फोटक को भर दिया गया था।

इसके बाद मोहसिन फ़खरीजादेह के कार की स्पीड को कम करने के लिए एक यूटर्न के पास कार खड़ी थी, जिसे ईरानी वैज्ञानिक की कार के पास से कुछ इस तरह निकलना था, ताकि वैज्ञानिक को अपनी कार की स्पीड कम करना पड़े। इसके साथ ही कार में लगे कैमरे वैज्ञानिक की मौजूदगी की पहचान कर सके। इस कार को टूटी हुई कार के तौर पर दिखा गया था।

हमले वाले दिन ऑर्डर मिलने के बाद तय सेटअप के तहत ईरानी वैज्ञानिक को मोसाद के एजेंट्स ने उनके सीक्रेट अड्डे से निकलने के लिए मजबूर कर दिया। ईरानी वैज्ञानिक अपनी काली निशान गाड़ी से अपनी पत्नी के साथ रुस्तमकला में अपने घर से निकले। उन्होंने अपनी यात्रा को काफी गुप्त रखा था और उनकी सुरक्षा में सिर्फ एक ही पुलिस की गाड़ी चल रही थी।

उन्होंने यात्रा करने के लिए अपनी ही गाड़ी को चुना था, जबकि इससे पहले वो बख्तरबंद गाड़ी में बाहर निकलते थे। कहा जाता है कि ईरानी वैज्ञानिक को घर से बाहर निकालने के साथ साथ ऐसा माहौल बनाया गया था कि वो सिर्फ अपनी पत्नी के साथ ही घर से बाहर निकलें।

दोपहर करीब साढ़े तीन बजे उनकी कार फिरोज़कौह रोड के साथ उस बिंदु पर पहुंच गई, जहां उनकी कार ने यू टर्न लिया और फिर वहां मौजूद एजेंट्स की कार ने वैज्ञानिक की तस्दीक कर दी।अधिकारियों ने कहा कि ‘निश्चित प्वाइंट पर पहुंचते ही स्नाइपर ने एक साथ कई गोलियां दाग दीं, जो सीधे आकर वैज्ञानिक के कार के शीशे में छेद करते हुए उन्हें एक के बाद एक जाकर लगी।

रिपोर्ट के मुताबिक, गोली लगने के बाद वैज्ञानिक अपनी कार से बाहर निकल आए, जिसके बाद स्नाइपर ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से खुद को री-पॉजिशन कर लिया और फिर से गोलियां दागीं, जो ईरानी वैज्ञानिक के कंधों पर जाकर लगी। कार से बाहर निकलने के बाद स्नाइपर ने उन्हें तीन और गोलियां मारीं।

अधिकारियों ने कहा कि ईरानी वैज्ञानिक को स्नाइपर ने एक हजार मील की दूरी से 15 गोलियां मारी थीं। कहा जा रहा है कि उन्होंने अपनी पत्नी की बाहों में दम तोड़ दिया। गोली कहां से मारी गई, इसका पता ईरान को कई महीनों तक नहीं चल पाया और ईरान लगातार कहता रहा कि किसी रोबोट के जरिए पास से गोली मारी गई।

बाद में जाकर वो पिकअप गाड़ी मिल गई, जिसमें मशीन गन को रखा गया था। विस्फोट के बाद भी उसमें इतने सबूत मिल गये, जिससे खुलासा हो गया कि ईरानी वैज्ञानिक को कैसे मारा गया था।

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