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सऊदी अरब की तालिबान को नसीहत, कश्मीर पर भी दिया बड़ा बयान

सऊदी अरब की तालिबान को नसीहत, कश्मीर पर भी दिया बड़ा बयान अपनी पहली आधिकारिक भारत यात्रा पर आए सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान आले सऊद ने तालिबान से लेकर भारत-पाकिस्तान रिश्ते पर भी खुलकर अपने विचार रखे।

सऊदी अरब ने तालिबान को दो टूक नसीहत करते हुए कश्मीर पर भी खुलकर अपनी बात रखी। प्रख्यात समाचार पत्र द हिंदू के साथ बातचीत करते हुए सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान मुद्दे पर सऊदी अरब की सबसे बड़ी चिंता शांति एवं स्थिरता है।

अफगानिस्तान में सऊदी अरब की दूसरी बड़ी प्राथमिकता इस देश की सुरक्षा है। ऐसा ना हो कि अब अफगानिस्तान वैश्विक आतंकवाद का गढ़ बन जाए। इसलिए अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान की जिम्मेदारी है कि वह ढंग से कोई फैसला लें।

अफगानिस्तान के सभी लोगों को साथ लेकर चलते हुए समावेशी सरकार बनाएं तथा देश भर में सुरक्षा स्थिरता एवं समृद्धि का मार्ग खोलें।
तालिबान को अफगानिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं का भी ध्यान करना चाहिए।

याद रहे कि 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को सऊदी अरब का भरपूर समर्थन हासिल था लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं। इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए सऊदी विदेश मंत्री ने कहा कि हम कई वर्षों से तालिबान के संपर्क में नहीं है। यह हमारा नीतिगत फैसला था कि जब तक तालिबान आतंकवाद के साथ अपने रिश्ते पूरी तरह खत्म नहीं कर लेता है तब तक हम उनके साथ नहीं आ सकते ।

सऊदी विदेश मंत्री ने कहा कि तालिबान ने इस संबंध में कुछ वादे किए थे और उन्होंने हाल फिलहाल में भी ऐसे कई वादे किए हैं। हमें यह देखना होगा कि तालिबान अपनी बातों पर पूरा उतरता है या नहीं। हम अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर तालिबान पर नजर बनाए हुए हैं। तालिबान सच्चा है और वह अपने वादों में कितना कामयाब होता है उसी के आधार पर हम आगे को कोई फैसला करेंगे।

सऊदी विदेश मंत्री ने भारत के साथ अपने संबंधों पर बात करते हुए कहा कि 2019 में सऊदी अरब और भारत के बीच 100 अरब डॉलर की निवेश योजना पर काम जारी है। भारत हमारे प्रमुख सहयोगियों में से एक है। भारत हमारा रणनीतिक साझीदार है और नई दिल्ली से संबंध हमारी प्राथमिकता में शामिल है। कोरोना वायरस के चलते पिछले कुछ समय से हमें चुनौतियों का सामना है और इस कारण बहुत सी चीजों में देरी भी हुई है।

भारत सऊदी अरब का तीसरा सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है। जब हमने इस सौदे की घोषणा की थी तो हमारे पास 500 मिलीयन डॉलर्स का डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट था जो अब 3 अरब डॉलर्स का हो चुका है।

100 अरब डॉलर्स के आंकड़े पर क्या दोबारा विचार करने की जरूरत है ? इस सवाल पर सऊदी विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकताएं नहीं बदली हैं। न ही भारत और सऊदी अरब के संबंधों को लेकर हमारे उत्साह में कोई कमी आई है। हां कोरोना का कारण कुछ चीज़ों में कमी ज़रूर आयी है लेकिन हमें उम्मीद है कि हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर लेंगे।

जम्मू कश्मीर, सांप्रदायिक हिंसा और भारतीय मुसलमानों की स्थिति के बारे में सऊदी अरब के रुख के बारे में पूछे जाने पर फैसल बिन फरहान ने कहा है कि हमारा विचार यह है कि यह भारत के घरेलू मुद्दे हैं और इन चिंताओं को दूर करना भारत सरकार और भारतीय लोगों पर निर्भर है।

भारत सरकार इन मुद्दों पर जो भी फैसला करती है और उसकी जो भी पहल होगी हम उसका समर्थन करेंगे लेकिन फिर भी हमारा मानना है कि यह भारत के आंतरिक मुद्दे हैं।

इन मुद्दों पर ओआईसी के बयानों को रोकने में क्या सऊदी अरब कोई पहल करेगा ? इसके जवाब में विदेश मंत्री ने कहा कि कश्मीर को लेकर बयानों की अगर बात की जाए तो यह मामला ऐसा है जो दोनों देशों के बीच बना हुआ है। इसे हल करने के लिए भारत पाकिस्तान को बातचीत करना जरूरी है ताकि हमेशा के लिए इस मुद्दे का समाधान किया जा सके।

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