सऊदी अरब को पछाड़ रूस बना भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा बड़ा देश
रूस और यूक्रेन संकट के बीच अमेरिका और पश्चिमी जगत ने रूस पर जहाँ कड़े प्रतिबंध थोप कर इस देश की अर्थव्यवस्था को ख़त्म करना चाहा वहीँ दुनिया भर के देशों पर भी दबाव बनाकर रूस को अलग थलग करना चाहा.
भारत पर भी अमेरिका समेत यूरोप ने रूस से कारोबार सीमित करने के लिए बेहद दबाव डाला लेकिन केंद्र सरकार ने तमाम दबाव को धता बताते हुए रूस से अपने संबंधों को यही नहीं कि बनाए रखा बल्कि जमकर तेल की खरीदारी की.
रूस सऊदी अरब को पछाड़कर अब भारत का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है. आंकड़ों से पता चलता है कि यूक्रेन युद्ध के बाद भारी छूट पर उपलब्ध रूसी कच्चे तेल को देश की रिफाइनिंग कंपनियों ने खरीदना शुरू कर दिया है. भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों ने मई में लगभग 2.5 करोड़ बैरल रूसी कच्चा तेल खरीदा था.
दुनियाभर में तेल आयात करने वाले देशों में भारत का तीसरा स्थान है. डाटा के अनुसार, सऊदी अरब अब भारत को तेल की आपूर्ति करने के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है.
बता दें कि यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर कई कारोबारी प्रतिबंध लगा दिए थे जिस वजह से कई देशों ने रूस से तेल नहीं खरीदा जिसका फायदा भारतीय कंपनियों को मिला और उन्होंने मई में सस्ती दरों पर रिकार्ड तेल आयात किया.
रूस ने संकट के इस समय में सिर्फ तेल ही नहीं बल्कि चीन जैसे देशों को भी अपनी ऊर्जा के सबसे बड़े खरीदार के रूप में बदल लिया है . इस से पहले जर्मनी रूस से सबसे अधिक ऊर्जा आयात करता था जबकि अब चीन रूस से सबसे बड़ा ऊर्जा आयातक देश बन चुका है. सेंटर फार रिसर्च आन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसार, जर्मनी को पछाड़कर चीन अब रूस का सबसे बड़ा ऊर्जा खरीदार है. चीन ने 24 फरवरी के बाद रूस से करीब 97 अरब डालर का तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की खरीदारी की है।