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रूस ईरान के साथ संबंधों को मानता है बहुत फाएदेमंद

रूस ईरान के साथ संबंधों को मानता है बहुत फाएदेमंद ईरानी राष्ट्रपति की रूस यात्रा पर एक कनाडाई पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि रूस इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि ईरान और चीन जैसे देशों के साथ संबंध विकसित करना पश्चिम के साथ संबंधों से अधिक फाएदेमंद है।

रूस ईरान संबंधों पर बात करते हुए कनाडाई पत्रकार फ्रेड वियर ने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति की रूस यात्रा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अलावा  व्यापार से लेकर हथियारों की बिक्री और अन्य मुद्दों पर चर्चा की जाएगी  जो दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने में मदद करेंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरानी राष्ट्रपति की रूस यात्रा के साथ ही तेहरान में कुछ लोग मास्को के साथ संबंधों को लेकर संशय में हैं। तेहरान में अल-जज़ीरा टीवी संवाददाता अल-दगीर ने ईरानी राष्ट्रपति की रूस यात्रा के बारे में कहा कि कोरोना वायरस के कारण, इब्राहिम रईसी के लिए ताजिकिस्तान में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मिलना संभव नहीं था। दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने मास्को में मिलने का फैसला किया है। रूस और ईरान का मानना ​​है कि उन्हें दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

1990 के दौरान रूस और ईरान को पश्चिमी जगत से अलगाव का मुंह देखना पड़ा। पश्चिमी देश रूस की साम्यवादी नीति और उसके द्वारा महाशक्ति बनने संबंधी महत्वकांक्षा को अच्छी नजर से नहीं देखते थे। दूसरी ओर ईरान द्वारा अमेरिकी दूतावास के कार्मिकों को नजरबंद करना और ईरान-इराक युद्ध के दौरान अरब जगत को ईरान से उत्पन्न खतरे के कारण पृथककरण की यह प्रक्रिया अमल में आई।

रूस और ईरान मध्य एशिया, काकेशस और सीरिया में महत्वपूर्ण चुनौतियों का मिलकर सामना कर रहे हैं। 2012 में दोनों के बीच एक सुरक्षा समझौता हुआ जिसमें अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित आसूचना का आदान-प्रदान शामिल था। रूस ने ईरान के नागर-नाभिकीय कार्यक्रम में सहायता दिए जाने के बारे में भी वादा किया। इसके अलावा रूस ईरान से कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों यथा इस्लामी उग्रवाद और अमेरिकी मिसाइल रक्षा कवच लगाए जाने की बाबत भी अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है।

 

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