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रूस और ईरान की रणनीतिक साझेदारी संधि, आधिकारिक तौर पर लागू

रूस और ईरान की रणनीतिक साझेदारी संधि, आधिकारिक तौर पर लागू

रूस के विदेश मंत्रालय ने आज घोषणा की कि मॉस्को और तेहरान के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी की संधि, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के लोगों के बुनियादी हितों के तहत सभी क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करना है, 2 अक्तूबर से लागू हो गई है। रूस ने कहा है कि ईरान और रूस की व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि, जो राष्ट्रपति मसऊद पेज़ेश्कियान की रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों के राष्ट्रपतियों द्वारा हस्ताक्षरित हुई थी, अब औपचारिक रूप से लागू हो गई है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने आज के अपने बयान में कहा कि इस संधि का लागू होना “दोनों देशों के संबंधों के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो इन्हें व्यापक रणनीतिक साझेदारी के नए गुणात्मक स्तर पर ले जाता है।” रूस के बयान के अनुसार इस समझौते के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

दोनों पक्ष आपसी रुचि के सभी क्षेत्रों में संबंधों को गहरा और विस्तृत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मॉस्को और तेहरान ने सहमति जताई कि वे व्यापारिक और आर्थिक सहयोग को जारी रखेंगे तथा संयुक्त सैन्य अभ्यासों में नज़दीकी सहयोग करेंगे। यदि किसी एक पक्ष पर हमला होता है तो दूसरा पक्ष हमलावर की मदद नहीं करेगा।

दोनों देश अपनी भूमि को ऐसे अलगाववादी आंदोलनों के समर्थन में इस्तेमाल नहीं होने देंगे जो उनकी क्षेत्रीय अखंडता को खतरा पहुँचाते हों।

दोनों पक्ष प्रतिबंधों का विरोध करते हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध मानते हैं। वे एक-दूसरे पर किसी तीसरे देश द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में शामिल नहीं होंगे और गारंटी देंगे कि वे एकतरफ़ा दबावपूर्ण कदमों का उपयोग नहीं करेंगे।

मॉस्को और तेहरान ने सहमति जताई है कि वे झूठी सूचनाओं और नकारात्मक प्रचार का मुकाबला करने के लिए मीडिया सहयोग को बढ़ावा देंगे।

दोनों देश प्राकृतिक और मानवजनित आपदाओं की रोकथाम में एक-दूसरे की मदद करेंगे और तीसरे देशों से स्वतंत्र भुगतान अवसंरचना बनाने के लिए सहयोग करेंगे।

रूस से ईरान तक गैस पाइपलाइन अज़रबैजान से होकर गुज़रेगी और दोनों पक्ष मूल्य निर्धारण के तरीकों पर बातचीत कर रहे हैं।

मॉस्को और तेहरान शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं, जिनमें परमाणु बिजलीघरों का निर्माण भी शामिल है, में रुचि रखते हैं।

दोनों देश अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और अन्य ख़तरों व चुनौतियों के ख़िलाफ़ सहयोग करेंगे।

यह समझौता 20 साल की अवधि के लिए किया गया है और इस अवधि की समाप्ति के बाद अपने आप पाँच साल के लिए बढ़ा दिया जाएगा।

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