इज़रायली सेना की विस्फोटक सामग्री पर प्रतिरोध बलों का क़ब्ज़ा
ग़ाज़ा की प्रतिरोधी ताकतों ने मंगलवार को इज़रायली सेना की दर्जनों किलो विस्फोटक सामग्री जब्त कर ली, जिसे फिलिस्तीनी नागरिकों के घरों को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। अब यही विस्फोटक, इज़रायली सैनिकों के लिए ख़तरा बन सकते हैं।
शहीद उमर अल-क़स्साम ब्रिगेड, जो फ़िलिस्तीन की डेमोक्रेटिक फ्रंट की सैन्य शाखा है, ने इजरायली सेना को चौंकाने वाली खबर दी: “हमारे लड़ाकों ने पूर्वी ग़ाज़ा में क़ब्ज़ाधारी इज़रायली सेना के दर्जनों किलो विस्फोटक जब्त किए हैं।” उनके अनुसार, इन विस्फोटकों से इज़रायल ने आम नागरिकों के घरों को नष्ट किया था।
ग़ाज़ा युद्ध की शुरुआत से ही इज़रायली सेना की निष्फल बमबारी और छोड़े गए विस्फोटक, प्रतिरोध के लिए एक अवसर बनते जा रहे हैं। इज़रायली अख़बार ‘मारिव’ ने रिपोर्ट दी है कि हज़ारों बम और मिसाइलें ग़ाज़ा में गिराई गई हैं जो फटी नहीं हैं, जिनमें से कुछ का वज़न एक टन तक है। यह इज़रायली चिंता का विषय है कि प्रतिरोधी बल इन विस्फोटकों को हथियार और बम बनाने में इस्तेमाल कर रहे हैं।
इज़रायली सेना के रेडियो के अनुसार: “फिलिस्तीनी समूहों द्वारा उपयोग की जाने वाली विस्फोटक सामग्री का कुछ हिस्सा उन्हीं इज़रायली बमों से बनाया गया है जो फटे नहीं थे।”
संयुक्त राष्ट्र के ‘माइन एक्शन सर्विस’ ने भी कुछ महीने पहले पुष्टि की थी कि, इज़रायली हमलों में दागे गए हर 10 बमों में से 1 बम नहीं फटा। ये बम मलबा हटाने के दौरान जानलेवा साबित होते हैं, लेकिन प्रतिरोधी गुट इन्हीं बमों को हथियार में बदलकर इज़रायली फौज को चौंका रहे हैं, जैसा कि हाल के घातक हमलों में देखा गया।
सैन्य विश्लेषक ‘अमी अबू ज़ुबैदा’ ने बताया कि हालिया ‘संग-ए-दाʽवूद’ (डेविड का पत्थर) अभियान, ग़ाज़ा की प्रतिरोधी रणनीति में एक गुणात्मक छलांग का संकेत है। उन्होंने कहा कि ख़ान यूनुस, जबालिया और शुजाइया में जो हुआ, वह केवल हस्तनिर्मित बमों के धमाके नहीं थे, बल्कि यह गहराई से योजना बनाई गई सैन्य कार्रवाइयाँ थीं, जिनमें चतुर छिपाव, सटीक माइंस बिछाना और इज़रायली विशेष इकाइयों को जाल में फँसाना शामिल था।

