क़ासिम सुलेमानी ने हमें आग के घेरे में खड़ा कर दिया है: इज़रायली वित्त मंत्री
फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी की अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, इज़रायल के वित्त मंत्री बेज़ालेल स्मोट्रिच ने एक अभूतपूर्व बयान में स्वीकार किया कि जनरल क़ासिम सुलेमानी ने इज़रायल के चारों ओर रणनीतिक रूप से “आग का घेरा” बना दिया था। उन्होंने यह भी कबूल किया कि तेल अवीव को यमन के मिसाइल भंडार की जानकारी नहीं थी।
स्मोट्रिच ने कहा:
“हमें नहीं पता था कि, हूती विद्रोही यमन में विशाल और मज़बूत भूमिगत ठिकानों में 2000 किलोमीटर तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें बना रहे हैं। क़ासिम सुलेमानी ने हमारे चारों ओर एक आग का घेरा बना दिया था और हमें इस विनाशकारी योजना की भनक तक नहीं लगी। उन्होंने आगे दावा किया: “हम तो यही समझते थे कि, हूती केवल ईरान का अरब देशों खासकर सऊदी अरब के खिलाफ एक मोहरा हैं।”
यमन की मिसाइल क्षमताएं पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदलने वाले सबसे अहम कारकों में से एक बन गई हैं, जिसने कई बार इज़रायल को चौंका दिया है। 2015 में सऊदी गठबंधन द्वारा यमन पर हमले शुरू होने के बाद, अंसारुल्लाह ने घरेलू तकनीक और प्रतिरोध मोर्चे की तकनीकी मदद से बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों को विकसित किया।
‘बदर’, ‘क़ाहिर’, ‘बरकान’ और हाल ही में ‘फिलस्तीन-2’ जैसी मिसाइलें इसी परियोजना की उपज हैं। कुछ मिसाइलों की मारक क्षमता 2000 किलोमीटर से अधिक है, जो इज़रायल के बहु-स्तरीय डिफेंस सिस्टम को पार करके उसके भीतर तक वार कर सकती हैं — जैसे कि तेल अवीव स्थित बेन-गुरियन एयरपोर्ट।
इज़रायली विश्लेषकों ने माना है कि यमन की मिसाइल क्षमताओं को लेकर उनकी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां अंधेरे में थीं। यमनी मिसाइल हमलों से जैसे कि हाइफ़ा में ‘ओरोट रबिन’ पावर स्टेशन को निशाना बनाया गया, वह तेल अवीव के लिए एक बड़ा सुरक्षा झटका था।
जब से यमन की सशस्त्र सेनाओं ने ग़ाज़ा पर इज़रायली हमलों को रोकने के लिए सैन्य अभियान शुरू किया है, तब से लाल सागर में इज़रायली नौवहन ठप हो गया है और क़ब्ज़े वाले इलात बंदरगाह की गतिविधियां भी रुक गई हैं। इन घटनाओं ने इज़रायल की “अजेय” मानी जाने वाली डिफेंस टेक्नोलॉजी, आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग, एरो-3 और यहां तक कि अमेरिकी THAAD सिस्टम — की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

