इराक, तुर्की के खिलाफ जनाक्रोश भड़का, रिश्ते तोड़ने की मांग
तुर्की के खिलाफ पडोसी देशों में नफरत की आग सुलगने लगी है. पिछले काफी समय से पडोसी देशों के खिलाफ तुर्की की आतंकी एवं अतिक्रमणकारी नीतियों के कारण सीरिया और इराक जैसे देशों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा है.
सीरिया और इराक में आतंकी गुटों का खुल्लम खुल्ला साथ देने के साथ साथ तुर्की समय समय पर इन देशों पर हमला करते हुए एक बड़े भूभाग पर क़ब्ज़ा जमाए हुए है. ताज़ा मामला इराक में एक पिकनिक स्पॉट पर तुर्की के बर्बर हमलों का है जिसमे बड़ी तादाद में लोग मारे गए और घायल हुए हैं.
कुर्दिस्तान के एक पिकनिक स्पॉट पर तुर्की के वहशी हमलों के बाद ही इराक भर में तुर्की के खिलाफ ग़ुस्से की आग भड़की हुई है. कल भी बगदाद में तुर्की की एम्बेसी पर विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगून ने दूतावास की इमारत से तुर्की का झंडा नीचे खींच कर आग लगा दी थी.
इराक में फैले जनाक्रोश के बाद कल से ही इराक के अलग अलग राजनैतिक दलों की ओर से तुर्की के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की मांग की जा रही है.
इराक के प्रधानमंत्री अल काज़िमी ने कहा कि इराक इन हमलों का जवाब देने का अपना अधिकार रखता है और अपने लोगों की हिफाज़त के लिए सभी ज़रूरी क़दम उठाएगा और बिगड़े हालात और उपजे तनाव का जिम्मेदार हमलावर को मानता है.
इराक के प्रभाशाली नेता मुक़्तदा सद्र ने भी तुर्की को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि तुर्की इस भूल में न रहे कि इराक उसकी हरकतों का जवाब देने में सक्षम नहीं है. बता दें कि दहूक में एक पब्लिक पैलेस पर टर्की के वहशी हमलों में 9 लोगों की मौत और 30 से अधिक घायल हो गए थे.
इराक के सबसे बड़े राजनैतिक गठबंधन के नेता ने जहाँ तुर्की को जवाबी कार्रवाई को लेकर चेताया है वहीं एक अन्य बड़े गठबंधन नेता हादी अल आमेरी और कुर्दिस्तान प्रान्त ने भी तुर्की इराक सीमा को बंद करने की मांग की है. बसरा, ज़ीक़ार, कुर्दिस्तान, बग़दाद, किरकुक, अरबील , नजफ़े अशरफ समेत पूरे इराक में तुर्की के खिलाफ ग़ुस्सा बढ़ता ही जा रहा है. किरकुक, नजफ़, अरबील समेत कई शहरों में तुर्की के वाणिज्य दूतावास और वीज़ा केंद्रों से तुर्की के झंडे उतार कर इराक के झंडे लगा दिए गए और तुर्की के खिलाफ नारेबाजी करते हुए झंडों को आग लगा दी गयी.
वहीँ इराक पार्लियामेंट में भी तुर्की के राजदूत को देश से निकाले जाने की मांग ज़ोर पकड़ रही है. इराक पार्लियामेंट में तुर्की और इराक के बीच कारोबार को भी निम्नस्तर तक सीमित करने की मांग रखी गयी है.