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ईरान के परमाणु मुद्दे का राजनीतिक समाधान ही हमारा लक्ष्य है: रूस

ईरान के परमाणु मुद्दे का राजनीतिक समाधान ही हमारा लक्ष्य है: रूस

मास्को ने हाल के दिनों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उत्पन्न हुए तनाव को शांत करने के लिए एक स्पष्ट और कूटनीतिक संदेश दिया है। रूस के उपविदेश मंत्री सर्गेई रियाबकोव ने गुरुवार को कहा कि उनका देश इस मुद्दे को केवल राजनीतिक और शांतिपूर्ण रास्तों से हल करना चाहता है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस ईरान, अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) तीनों के साथ सक्रिय संवाद में है।

रियाबकोव के अनुसार, “राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में हम सभी पक्षों के साथ समन्वय कर रहे हैं ताकि परमाणु संकट का एक ऐसा समाधान निकल सके जो न केवल स्थायी हो बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करे।” यह बयान उस वक्त आया है जब अमेरिका और इज़रायल ने ईरान की परमाणु स्थलों को निशाना बनाकर मध्य पूर्व में तनाव की लपटें तेज़ कर दी हैं।

अंतरराष्ट्रीय एजेंसी की भूमिका पर संदेह

IAEA प्रमुख राफ़ाएल ग्रोसी पर ईरान ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि वह परमाणु निरीक्षण की आड़ में संवेदनशील जानकारी अमेरिका और इज़रायल को लीक कर रहे हैं। इसी आधार पर ईरान ने IAEA से सहयोग अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है और कई निरीक्षकों को देश छोड़ने के आदेश जारी कर दिए हैं।

रूस की भूमिका: मध्यस्थ या रणनीतिक साझेदार?

रूस का यह रुख, एक ऐसे समय में आया है जब पश्चिमी ताक़तें ईरान पर लगातार दबाव बना रही हैं और सैन्य हमलों की खबरें तनाव को और बढ़ा रही हैं। विश्लेषकों का मानना है कि मास्को अब एक ‘बैलेंसिंग पॉवर’ की भूमिका में आ गया है, जो अमेरिका और इज़रायल के प्रभाव को संतुलित करने के लिए ईरान के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत बना रहा है।

क्षेत्रीय राजनीति में संभावित बदलाव

रूस की यह रणनीति सिर्फ ईरान को समर्थन देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक भूराजनीतिक संदेश भी है कि पश्चिमी वर्चस्व को चुनौती देने वाले देशों को रूस एक कूटनीतिक छतरी प्रदान कर सकता है। साथ ही, यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोप के साथ रूस के बिगड़ते रिश्तों के मद्देनज़र, यह कदम एक वैकल्पिक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के निर्माण की दिशा में उठाया गया एक और क़दम माना जा रहा है।

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