फ़िलिस्तीन नदी से समंदर तक फ़िलिस्तीनियों का है, यहां ग़ैरों के लिए कोई जगह नही हमास आंदोलन ने फिलिस्तीनी राष्ट्र के साथ अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता दिवस के अवसर पर एक बयान जारी किया, जिसमें जोर देकर कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस संबंध में अपनी भूमिका अच्छी तरह से नहीं निभा रहा है।
फ़िलिस्तीन की बात करते हुए आधिकारिक हमास समाचार वेबसाइट ने बताया कि फिलिस्तीनी लोगों और भूमि के खिलाफ इस्राईल की आक्रामक नीतियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा रहा है और वहीं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय फिलिस्तीनी लोगों को एक लोकतांत्रिक विकल्प नहीं मानता है।
इस्राईल की साजिशों का सामना करने के लिए प्रतिरोध के विकल्प और कार्यक्रम पर जोर देते हुए, हमास ने कहा कि फिलिस्तीन नदी से समंदर तक फिलिस्तीनी लोगों का है और विदेशिओं के लिए इसमें कोई स्थान नहीं है। हमास के प्रमुख ने उल्लेख किया कि फिलिस्तीनी क्षेत्र पर चल रहे इस्राईली आक्रमण का सामना करना, गाजा पट्टी की घेराबंदी जारी रखना, फिलिस्तीनी भूमि को लूटना, वेस्ट बैंक में इस्राईली बस्तियों का निर्माण करना, यरुशलम के लोगों को स्थानांतरित करना और शरणार्थियों की वापसी के अधिकार से इनकार करने के लिए तत्काल समझौते की आवश्यकता है।
हमास के प्रमुख ने कहा कि विश्व समुदाय इस्राईली सरकार के अत्याचार और उसके माध्यम से वैश्विक नियमों के उल्लंघन से तंग आ चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि इस्राईली सरकार अब पूरी दुनिया के सामने ज़लील व रुसवा हो गई है। उल्लेखनीय है कि यूरोपीय संघ की अदालत ने अपने ताज़ा फैसले में हमास का नाम आतंकवादी समूहों की सूची से निकाल दिया जिस का फिलिस्तीनी गुटों ने स्वागत किया है।
हमास का गठन 1987 में मिस्र तथा फ़िलिस्तीन के मुसलमानों ने मिलकर किया था जिसका उद्धेश्य क्षेत्र में इस्राईली प्रशासन के स्थान पर इस्लामिक शासन की स्थापना करनी थी।