डिज़फूल में आयोजित विदाई समारोह में, जिसमें शहीद कमांडर, ग़ुलाम अली राशिद, शहीद नसीर बाघबान और शहीद अमीन अब्बास राशिद को श्रद्धांजलि दी गई, लारिजानी ने कहा: “कमांडर राशिद, ईरानी जनता और इस्लामी व्यवस्था के लिए एक अनमोल संपत्ति थे, जिसे इज़रायली शासन ने हमसे छीन लिया। यह कोई साधारण बात नहीं है, और जब भी मुझे यह याद आता है, मेरा पूरा वजूद दुःख से भर जाता है।”
उन्होंने कहा: “मैं पिछले 40 वर्षों से इस कमांडर को जानता था। वे एक सच्चे रणनीतिक सोच वाले व्यक्ति थे जिन्होंने गुमनामी में जीवन बिताया। वे राष्ट्र के लिए एक दुर्लभ और मूल्यवान नेतृत्वकर्ता थे। लारिजानी ने कहा: “हम यह न भूलें कि अमेरिका और इज़रायल ने हम पर बहुत बड़ा ज़ुल्म किया है। हमारे शहीद कमांडर हमारी असली पूंजी थे और उन्हें कायरतापूर्ण तरीके से निशाना बनाया गया। दुश्मन को इन शहादतों की कीमत चुकानी होगी।”
उन्होंने आगे कहा: “कभी-कभी इस्लामी क्रांति के रास्ते में आगे बढ़ने के लिए हमें अपने प्रियजनों का बलिदान देना पड़ता है। लेकिन हमारे ये शहीद तो स्वयं शहादत की तमन्ना रखते थे। वे पूरी ज़िंदगी संघर्ष में रहे और अंततः उनकी तमन्ना पूरी हुई। हानि दरअसल हमारी है, जिन्होंने इन रत्नों को खो दिया, लेकिन वे अब इमाम हुसैन (अ) और उनके साथियों की मेज़बानी में हैं।”
लारिजानी ने इस युद्ध को ‘ईरानी जनता के विरुद्ध एक कायराना हमला’ बताया और कहा कि “ट्रंप ने झूठे वादे कर के बातचीत का नाटक किया और फिर हमला करवाया। बाद में नेतन्याहू ने खुद कहा कि ट्रंप को ईरान पर हमले की जानकारी थी।”
डिज़फूल की जनता और शहीद राशिद के परिवार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा: “आपको गर्व होना चाहिए कि आपने ऐसे योग्य और बहादुर बेटे को जन्म दिया जो देश की प्रतिष्ठा और सुरक्षा के लिए कुर्बान हुआ।”

