इज़रायल के साथ संबंध सामान्य करना हमारी नीति में शामिल नहीं: लेबनान
लेबनान के राष्ट्रपति जोज़फ औन ने एक स्पष्ट और दो-टूक बयान में कहा कि इज़रायल के साथ संबंध सामान्य करने की कोई योजना लेबनान की विदेश नीति में नहीं है। यह बयान ऐसे समय आया है जब अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर अमेरिका की ओर से, लेबनान पर तेज़ हो रहा है कि वह भी अब्राहम समझौतों की तरह इज़रायल को मान्यता दे।
जोज़फ औन ने यह भी कहा कि लेबनान में हथियार रखने का अधिकार सिर्फ सरकार और राष्ट्रीय सेना के पास होगा। इसका मतलब है कि अन्य गुटों या संगठनों के पास हथियार रखने की अब कोई गुंजाइश नहीं होगी। यह बयान सीधे तौर पर हिज़्बुल्लाह जैसे प्रतिरोध संगठनों पर असर डाल सकता है जो दक्षिणी लेबनान में इज़रायल के खिलाफ़ हथियारबंद प्रतिरोध का नेतृत्व करते रहे हैं।
हालांकि हिज़्बुल्लाह ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। संगठन के उप महासचिव शेख नईम क़ासिम ने साफ कहा है कि हिज़्बुल्लाह कभी भी अपने हथियार नहीं छोड़ेगा, क्योंकि यह सशस्त्र प्रतिरोध इज़रायल की आक्रामकता और कब्जे के खिलाफ़ लेबनान की रक्षा के लिए ज़रूरी है। लेबनान की रक्षा के लिए हिज़्बुल्लाह को किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने यह भी दोहराया कि हिज़्बुल्लाह किसी भी सूरत में इज़रायल के साथ सामान्यीकरण को स्वीकार नहीं करेगा, क्योंकि इससे न केवल फिलिस्तीनियों के अधिकारों से गद्दारी होगी, बल्कि लेबनान की संप्रभुता भी खतरे में पड़ सकती है। यह स्थिति लेबनान की अंदरूनी राजनीति को और अधिक पेचीदा बना रही है, जहां एक तरफ अंतरराष्ट्रीय दबाव है और दूसरी तरफ एक मज़बूत सशस्त्र प्रतिरोधी संगठन है जो किसी भी समझौते के ख़िलाफ़ डटा हुआ है।
दूसरी तरफ, अमेरिका के विशेष दूत टॉम बाराक ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें हिज़्बुल्लाह को धीरे-धीरे निरस्त्र करने के बदले में इज़रायल की सेनाओं की सीमावर्ती इलाकों से वापसी और हमलों में कमी लाने का वादा किया गया है। हालांकि अमेरिका और इज़रायल की मंशा साफ़ है कि, वह सीरिया की तरह लेबनान में भी कठपुतली सरकार चाहता है। लेकिन हिज़्बुल्लाह संगठन इस प्रस्ताव से होने वाले ख़तरों को भांप चूका है। फ़िलहाल यह प्रस्ताव फिलहाल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

