नेतन्याहू का क़बूलनामा: इज़रायल ने खोए 2000 सैनिक, युद्ध की भारी कीमत चुकाई
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि ग़ाज़ा और प्रतिरोध मोर्चे के खिलाफ जारी जंग में उनके देश को भारी नुकसान हुआ है। कनेस्सेट (इज़रायली संसद) में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में नेतन्याहू ने कहा — “जो जीत हमने हासिल की, उसकी कीमत बहुत भारी रही। हमने लगभग दो हजार सैनिक खो दिए हैं।”
नेतन्याहू ने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि “बंधक बनाए गए सैनिकों की रिहाई में तुम्हारी भूमिका निर्णायक रही।” उन्होंने ट्रंप का आभार जताया कि उन्होंने गोलान हाइट्स पर इज़रायल की संप्रभुता को मान्यता दी और ईरान के परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर निकाला। नेतन्याहू ने कहा, “कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति हमारे लिए वो नहीं कर सका जो तुमने किया है।”
ट्रंप ने भी अपने अंदाज़ में दावा किया — “जंग खत्म हो गई, जंग खत्म हो गई, समझे आप?” उन्होंने इज़रायल को सैन्य सहायता जारी रखने की बात दोहराई और कहा कि अमेरिका “हथियार बनाएगा और इज़रायल को देगा।”
नेतन्याहू ने ट्रंप की “शांति योजना” की तारीफ करते हुए कहा कि “दुनिया ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया, जिससे युद्ध खत्म हुआ और सभी लक्ष्य पूरे हुए।” हालांकि, यह वही नेतन्याहू हैं जिनकी सरकार पर ग़ाज़ा में लगभग 70,000 निर्दोषों की हत्या और नरसंहार का आरोप है। इसके बावजूद उन्होंने दावा किया — “हमने हमास और ईरान के नेतृत्व वाले ‘Axis of Evil’ पर ऐतिहासिक जीत हासिल की है।”
इज़रायली प्रधानमंत्री ने दोहराया कि “हमारी जीत की कीमत बहुत भारी थी, लेकिन अब हमारे दुश्मन समझ चुके हैं कि इज़रायल मज़बूत है और कायम रहेगा।” उन्होंने कहा कि “शुरुआत से ही वादा किया था कि सभी अपहृत सैनिकों को वापस लाया जाएगा, और ट्रम्प की मदद से हमने यह वादा पूरा किया।”
नेतन्याहू का यह बयान ऐसे समय आया है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय, ग़ाज़ा नरसंहार और युद्ध अपराधों की स्वतंत्र जांच की मांग कर रहा है, जबकि इज़रायल लगातार अपने “सुरक्षा अधिकार” के नाम पर हमलों को जायज़ ठहराने की कोशिश कर रहा है।

