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फ़िलिस्तीन के लगभग छह लाख स्कूली बच्चे मानसिक आघात से ग्रस्त: फ़िलिस्तीनी राहत एजेंसी

फ़िलिस्तीन के लगभग छह लाख स्कूली बच्चे मानसिक आघात से ग्रस्त: फ़िलिस्तीनी राहत एजेंसी

फ़िलिस्तीनी राहत एजेंसी के अनुसार, इज़रायल के बर्बर हमलों के परिणामस्वरूप लगभग 6 लाख फ़िलिस्तीनी बच्चे मानसिक आघात से ग्रस्त हैं और मलबे पर रहने के लिए मजबूर हैं। एजेंसी के प्रमुख फिलिप लजारिनी ने एक्स पर प्रकाशित एक बयान में कहा कि ग़ाज़ा के अलावा अन्य क्षेत्रों के लड़के और लड़कियां फिर से स्कूल जाने लगे हैं। इनमें से आधी संख्या फ़िलिस्तीनी राहत एजेंसी के स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर रही थी।

उन्होंने चेतावनी दी कि जितने अधिक दिनों तक बच्चे स्कूल से दूर रहेंगे, यह पीढ़ी के विनाश, दुःख और कट्टरपंथी विचारों में वृद्धि का कारण बनेगा। उनके अनुसार, ग़ाज़ा में एजेंसी द्वारा चलाए जा रहे 70 प्रतिशत स्कूल नष्ट हो चुके हैं, जबकि अधिकांश स्कूल हज़ारों बेघर लोगों के लिए शरणस्थली में बदल चुके हैं, और फिलहाल उन्हें स्कूल के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता।

जबकि इज़रायल की ओर से लगातार क्रूर कार्रवाई जारी है, उन्हें डर है कि कहीं अन्य युद्धग्रस्त क्षेत्रों की तरह ये बच्चे भी शोषण का शिकार न हो जाएं। लजारिनी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसे रोकने के लिए कदम उठाने की अपील की। हालाँकि क़तर, मिस्र और अमेरिका एक समझौते की कोशिश कर रहे हैं ताकि क्षेत्र में युद्धविराम हो सके और बंधकों तथा कैदियों का आदान-प्रदान किया जा सके, लेकिन इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कठोर रुख के कारण शांति की यह कोशिश ठप हो गई है।

हालाँकि लजारिनी का कहना है कि युद्ध-विराम दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद होगा। जहाँ एक तरफ फ़िलिस्तीनी कैदियों की रिहाई होगी, वहीं दूसरी तरफ इज़राइली बंधक भी रिहा हो जाएंगे। स्पष्ट रहे कि इज़रायल द्वारा ग़ज़ा की कठोर नाकाबंदी के कारण क्षेत्र में पीने के साफ पानी, भोजन और चिकित्सा सुविधाओं की आपूर्ति मुश्किल हो गई है। इसके अलावा, इज़राइल पर फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार का भी आरोप है।

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