Site icon ISCPress

यमन से इज़रायली क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन की ओर मिसाइल हमला

यमन से इज़रायली क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन की ओर मिसाइल हमला

जब पूरी दुनिया ग़ाज़ा में बच्चों की लाशें गिन रही है और इज़रायली बमबारी से मासूमों का लहू बह रहा है, तब यमन ने खामोशी तोड़ते हुए अपने संघर्षशील कंधों से मिसाइलों का जवाब दिया है। गुरुवार सुबह को यमन ने फ़िलिस्तीन के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों की ओर मिसाइल दागकर यह साफ़ संदेश दिया कि, ग़ाज़ा अकेला नहीं है।

इज़रायली सेना ने खुद माना कि यमन से मिसाइल हमले को ट्रैक किया गया है। इसी के साथ, यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन ने एक बयान में ज़ोर दिया है कि इज़रायली शासन के अपराधों पर आधिकारिक चुप्पी, ग़ाज़ा के लोगों के जनसंहार में भागीदारी के बराबर है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, आज सुबह यमन से इज़रायली शासन के ठिकानों की ओर मिसाइल दागी गई। इज़रायली अख़बार येदिओत अहरोनोत ने भी इस मिसाइल हमले की पुष्टि करते हुए लिखा कि यमन से हमले के डर के कारण बेन गुरियन एयरपोर्ट की गतिविधियाँ रोक दी गई हैं।

इज़रायली अपराधों चुप्पी, यानी ग़ाज़ा के जनसंहार में साझेदारी: अंसारुल्लाह 
यमन के क्रांतिकारी संगठन अंसारुल्लाह ने एक भावुक और आक्रोशपूर्ण बयान में कहा, “इज़रायली शासन के अपराधों पर जो सरकारें चुप हैं, वो ग़ाज़ा के जनसंहार में शरीक हैं। ग़ाज़ा के मासूम लोग भुखमरी और बमबारी के बीच दम तोड़ रहे हैं, और दुनिया देख रही है। 21 महीने से जारी नरसंहार ने साफ़ कर दिया है कि अमेरिका और उसका ज़ायोनी प्यादा इज़रायल सिर्फ़ बर्बरता और जुर्म की मिसाल हैं।”

इ बयान में ग़ाज़ा की पीड़ा, इज़रायल की वहशियत और यमन की प्रतिबद्धता तीनों खुलकर सामने आती हैं। जहाँ अरब शासक अपनी दौलत में डूबे हुए हैं और ज़ुल्म के खिलाफ़ एक शब्द बोलने से भी डरते हैं, वहीं यमन, जो खुद सालों से युद्ध और मानवीय संकट झेल रहा है, आज ग़ाज़ा की आवाज़ बना है। भूख, बर्बादी और बमबारी के बावजूद यमनी जज़्बा ज़िंदा है।

Exit mobile version