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तेहरान में आज आयतुल्लाह ख़ामेनेई के ऐतिहासिक खुत्बे को सुनने के लिए लाखों की संख्या में पहुंचे लोग

तेहरान में आज आयतुल्लाह ख़ामेनेई के ऐतिहासिक खुत्बे को सुनने के लिए लाखों की संख्या में पहुंचे लोग

ईरान इजरायल तनाव के बीच आज तेहरान के मुसल्ला मैदान पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई की इमामत में नमाज पढ़ने और उनके ऐतिहासिक खुत्बे को सुनने के लिए पूरे ईरान से लाखों की संख्या में लोग तेहरान के मुसल्ला मैदान जमा हुए हैं। ईरान इजरायल और लेबनान इजरायल युद्ध के बीच आयतुल्लाह ख़ामेनेई आज कुछ बड़ा पैगाम दे सकते हैं।

पूरा मुसल्ला मैदान ‘लब्बैक या ख़ामेनेई’ और ‘लब्बैक या नसरुल्लाह’ के नारे से गूंज उठा है। नमाजे जुमा से पहले अजीम मुजाहिद, और शहीद, सैयद हसन नसरुल्लाह को श्रध्दांजलि अर्पित की गई। आयतुल्लाह ख़ामेनेई का खुत्बा थोड़ी देर में शुरु होने वाला है। नाजियों की भीड़ कल रात ही जमा होना शुरू हो गई थी।

पूरा मुसल्ला मैदान ‘अमेरिका मुर्दाबाद’ और  इजरायल मुर्दाबाद’ के नारों से गूंज रहा है। इस हफ्ते आयतुल्लाह ख़ामेनेई नमाजे जुमा पढ़ाएंगे इसका एलान ईरान द्वारा इजरायल पर किए गए हमले से पहले ही कर दिया गया धा। इस हमले के बाद पूरा ईरान से खुशी से झूम रहा है। पूरी ईरानी जनता में जोशो–खरोश पाया जा रहा है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई के खुत्बे की प्रमुख बातें

आज दुश्मन, उम्मते इस्लामी में फूट डालना चाहता है ताकि अपने मुकाबिल को कमजोर कर सके, लेकिन आज उम्मते इस्लामी बेदार हो चुकी है। आज ईरानी जनता फिलिस्तीन, लेबनान, मिस्र ईराक,  के साथ खड़ी है। जो फिलिस्तीन, लेबनान इराक  मिस्र  यमन का दुश्मन है वह ईरान का दुश्मन है।

ईरानी राष्ट्र के दुश्मन वही हैं जो फिलिस्तीन के दुश्मन हैं, लेबनान के दुश्मन हैं, इराक के दुश्मन हैं, सीरिया और मिस्र के दुश्मन हैं।हमारे दुश्मन अलग-अलग हमला करते हैं, लेकिन सभी आदेश एक ही जगह से आते हैं।

अगर आज दुश्मन एक जगह कामयाब ह़आ तो कल दूसरे देश की नौबत आएगी। इसलिए जरूरी है कि, ईरान से लेकर अफगानिस्तान तक, यमन से लेकर लेबनान तक, फिलिस्तीन से लेकर इराक मिस्र तक… हिफाजत के लिए एकजुट होकर मजबूती के साथ प्रतिरोध के लिए खड़े हो जाएं। अगर कोई उम्मत कामयाब होना चाहती है तो उसे चाहिए कि गफलत छोड़कर बेदार हो जाए। इससे पहले जिस उम्मत ने लापरवाही से काम लिया उस उम्मत ने बरसों तक उसका अंजाम भुगता।

आज फिलिस्तीनी जनता, जिनकी जमीन पर इजरायल ने नाजायज कब्जा करके उन पर अत्याचार किया, और आज उनके मासूम बच्चों, औरतों और मर्दों को शहीद कर दिया, उनके घरों को ध्वस्त कर दिया, उन्हें हक है कि वह अपनी जमीन पर दुश्मन के मुकाबिल  खड़े रहें।

दुनियां का कोई भी देश, कोई भी संगठन, फिलिस्तीनियों से उनका नहीं छीन सकता। हम मजलूम फिलिस्तीनियों और लेवनानियों के साथ  खड़े हैं। हम कभी भी दुशमन को जवाब देने में जल्दबाजी से काम नहीं लेंगे। सही वक्त पर दुश्मन को करारा जवाब देंगे जैसा कि पिछले हफ्ते हमने जवाब दिया। अगर जरुरत पड़ी तो आगे भी जवाब दिया जाएगा।

हिज़्बुल्लाह और उसके वीर और शहीद नेता लेबनान के ऐतिहासिक गुणों और पहचान का स्रोत हैं। हम ईरानी लंबे समय से लेबनान और उसके विशेषाधिकारों से परिचित हैं। शहीद मुहम्मद बिन मक्की आमिली, अली बिन अब्दुल आल कराकी, शहीद ज़ैन अल-दीन आमिली, हुसैन बिन अब्दुल समद आमिली, और उनके बेटे मुहम्मद बहा अल दीन, जिन्हें शेख बहाई के नाम से जाना जाता है, और विज्ञान और धर्म के अन्य लोग जैसे, हिजरी की 8वीं, 10वीं और 11वीं शताब्दी में ईरान को उनके प्रचुर ज्ञान के आशीर्वाद से लाभ हुआ।

मैंने अपने भाई सैय्यद हसन नसरल्लाह को आज शुक्रवार की प्रार्थना के दौरान याद करने के लिए चुना है, भगवान उन्हें आशीर्वाद दें और उन्हें शांति प्रदान करे, जो इस्लामी दुनिया में एक प्रिय व्यक्ति, क्षेत्र के लोगों के लिए एक शानदार नमूूना और शानदार आवाज, और लेबनान के लि एक चमकता हुआ गहना थे।

हम सभी अपने प्यारे सैयद की शहादत से दुखी और स्तब्ध हैं और यह वास्तव में एक बड़ी क्षति है। हमारे प्रतिरोध नेता ने 30 वर्षों तक संघर्ष का नेतृत्व किया और दुश्मनों को कुचल दिया। हिज़बुल्लाह वास्तव में एक पारिवारिक वृक्ष है। हम, ईरानी राष्ट्र, हमेशा लेबनानी लोगों के साथ रहे हैं और रहेंगे

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