इज़रायली ज़मीन से बड़े पैमाने पर पलायन; तेल अवीव सबसे आगे
एक इज़रायली मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो सालों में बड़ी संख्या में इज़रायली बस्तियों में रहने वाले लोग राजनीतिक संकट बढ़ने और सरकार पर भरोसा घटने की वजह से क़ब्ज़े वाले इलाकों को छोड़ रहे हैं।
इंटरनेशनल डेस्क, फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इज़रायली अख़बार द मार्कर ने आज (रविवार) अपनी रिपोर्ट में बताया कि हाल के वर्षों में बसने वालों के बीच असामान्य स्तर का पलायन देखा गया है। इस मीडिया ने आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि औसतन हर महीने 6,016 बसने वाले क़ब्ज़े वाले इलाकों को छोड़ रहे हैं, जो मौजूदा सरकार के आने से पहले के चार साल की तुलना में लगभग दोगुना है।
रिपोर्ट के अनुसार, शुद्ध पलायन (जाने वालों में से वापस लौटने वालों को हटाकर) की संख्या भी बढ़कर हर महीने 3,910 हो गई है, जबकि पहले यह संख्या सिर्फ 1,146 थी। रिपोर्ट यह भी दिखाती है कि पलायन करने वालों में ज़्यादातर पढ़े-लिखे युवा हैं, और 2024 में 14 प्रतिशत पलायन के साथ तेल अवीव सबसे ऊपर है, जबकि 2010 में यह संख्या लगभग 9.6 प्रतिशत थी।रिपोर्ट के मुताबिक, यह रुझान क़ब्ज़े वाले इलाकों के अंदर उदारवादी और दक्षिणपंथी समूहों के बीच बढ़ती दूरी को भी उजागर करता है; उदारवादी इलाकों जैसे तेल अवीव से पलायन बढ़ा है, जबकि यरूशलम जैसे रूढ़िवादी क्षेत्रों में यह संख्या घटी है।
इसके साथ ही द मार्कर चेतावनी देता है कि, जारी राजनीतिक संकट और गहरे आंतरिक मतभेद, साथ ही सरकार और आधिकारिक संस्थाओं पर भरोसे में आई कमी, इस पलायन को और तेज़ कर सकते हैं। इज़रायली कैबिनेट ने अब तक इस मुद्दे पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं की है और न ही बसने वालों के पलायन को रोकने के लिए कोई कदम उठाया है। अख़बार के अनुसार, तेल अवीव सुरक्षा और सामाजिक नाकामियों का जवाब देने के बजाय समस्याओं पर पर्दा डालने की नीति अपना रहा है और 7 अक्टूबर की घटनाओं की स्वतंत्र जांच समिति बनाने से भी बच रहा है।

