कुवैत ने इज़रायल की परमाणु सुविधाओं के निरीक्षण की मांग की
कुवैत ने ज़ोर देकर कहा है कि इज़रायल के परमाणु कार्यक्रम पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी लागू की जानी चाहिए और विश्व समुदाय से अनुरोध किया है कि, इस शासन की परमाणु सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के पादमानी (सुरक्षा निरीक्षण) प्रणाली के अंतर्गत लाया जाए। कुवैत ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए इज़रायल की परमाणु सुविधाओं को IAEA के पादमानी ढांचे में शामिल करे।
यह रुख़ ऑस्ट्रिया में कुवैत के राजदूत और वियना स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए उसके स्थायी प्रतिनिधि तलाल अल-फ़स्साम के बयान में व्यक्त किया गया। उन्होंने यह बयान IAEA के गवर्नर्स बोर्ड की उस बैठक में की जो “इज़रायल की परमाणु क्षमताओं से संबंधित नए मुद्दों” के एजेंडे के तहत आयोजित हुई थी।
कुवैत की आधिकारिक समाचार एजेंसी के अनुसार, अल-फ़स्साम ने बैठक में कहा कि मध्य पूर्व के सभी देश परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के सदस्य हैं और पादमानी समझौते लागू करते हैं, परंतु “इज़रायल अकेला अपवाद है जो अब भी इस निरीक्षण को स्वीकार करने से इनकार करता है।”
इज़रायल द्वारा परमाणु-मुक्त क्षेत्र बनाने का विरोध
कुवैत के प्रतिनिधि ने आगे कहा, “इज़रायल न केवल अपनी परमाणु सुविधाओं को एजेंसी की निगरानी से बाहर रखता है, बल्कि मध्य पूर्व को परमाणु हथियारों और अन्य प्रकार के जनसंहारक हथियारों से मुक्त क्षेत्र बनाने के हर गंभीर प्रयास का विरोध करता है। उन्होंने याद दिलाया कि यह लक्ष्य 1995 से अब तक NPT समीक्षा सम्मेलनों के निर्णयों में बार-बार दोहराया जाता रहा है।
इज़रायल के परमाणु मुद्दे को IAEA में खुला रखने की आवश्यकता
अल-फ़स्साम ने ज़ोर दिया कि “इज़रायल की परमाणु क्षमताओं का विषय तब तक एजेंसी और संबंधित संस्थाओं के एजेंडे में बना रहना चाहिए जब तक कि इस स्थिति के समाधान के लिए व्यावहारिक कदम नहीं उठाए जाते। उनके अनुसार, यह प्रक्रिया मध्य पूर्व में परमाणु-मुक्त क्षेत्र बनाने का रास्ता आसान कर सकती है और “क्षेत्रीय व वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता” को बढ़ा सकती है।
क्षेत्र में एकमात्र गैर-सदस्य
पश्चिम एशिया में इज़रायल अकेला ऐसा पक्ष है जो NPT का सदस्य नहीं है, इसलिए उसे अपने परमाणु कार्यक्रम की जानकारी देने या IAEA निरीक्षण स्वीकार करने की कोई बाध्यता नहीं है। कार्यक्रम को गोपनीय रखने के बावजूद स्वतंत्र आकलन इसकी एक अपेक्षाकृत स्पष्ट तस्वीर पेश करते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिक संघ ने 2023 में अनुमान लगाया कि, इज़रायल के पास लगभग 90 परमाणु वारहेड हैं और वह पर्याप्त विखंडनीय सामग्री तैयार करने की क्षमता रखता है जिससे 100 से 200 परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं।
इस शासन का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक में नेगेव रेगिस्तान में दिमोना शहर के पास एक परमाणु अनुसंधान केंद्र की स्थापना के साथ शुरू हुआ था। फ़्रांस इस कार्यक्रम का शुरुआती और प्रमुख समर्थक था और उसी दशक के अंत में उसने एक अनुसंधान रिएक्टर और ईंधन पुनर्प्रक्रिया सुविधा इज़रायल को उपलब्ध कराई। तब से अब तक यह कार्यक्रम कुछ पश्चिमी देशों के मौन समर्थन और व्यावहारिक सहयोग के साथ जारी रहा है, जबकि यही देश ईरान और उत्तर कोरिया पर परमाणु मुद्दों को लेकर कड़ी दबाव नीतियाँ लागू करते हैं।

