बस ऐसी मिसाइलें बनाओ जो तेल अवीव के दिल को भेद सकें, इज़रायली हमले में शहीद ईरानी जवान के पिता की अपील
ईरान पर हमला अमेरिका और इज़रायल के लिए एक सुनियोजित चाल थी। उनका उद्देश्य था ईरान की राजनीति को हिलाना, जनता को सड़कों पर लाना और धीरे-धीरे इस्लामी सरकार का पतन करना। इसी वजह से उन्होंने उन परमाणु समझौतों को भी ठुकरा दिया जिनकी खुद डोनाल्ड ट्रंप सालों से कोशिश कर रहे थे। ईरान जब छठे दौर की बातचीत की तैयारी कर रहा था, तभी हमला कर दिया गया, ताकि पूरी दुनिया को ये संदेश दिया जा सके कि, अमेरिका पर भरोसा मत करो, वह कभी भी हमला कर सकता है चाहे आप कितने भी कूटनीतिक क्यों न हों।
लेकिन विश्लेषकों के अनुसार, ईरान ने आश्चर्यजनक रूप से राजनीतिक और सैन्य स्थिरता बनाए रखी। युद्ध के शुरुआती घंटों में ईरान के कई शीर्ष सैन्य अफसर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। इसके बाद कई नेताओं को इज़रायली एजेंट्स की धमकी भरी कॉल्स आईं, “देश छोड़ दो, वरना अपने परिवार के साथ मारे जाओगे।”
लेकिन इस्लामी गणराज्य ने संकट को बेमिसाल ढंग से संभाला। सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई ने खुद वॉर रूम की कमान संभाली, तुरंत नए कमांडर तैनात किए और जवाबी हमले शुरू करवा दिए। पहले ही दिन ईरानी मिसाइलों की बारिश शुरू हो गई। 22 से ज़्यादा बैचों में मिसाइल और ड्रोन हमलों ने इज़रायल को हिलाकर रख दिया — एक ऐसा मंजर जिसे इज़रायल ने 1948 से अब तक कभी नहीं झेला था।
ईरान के राष्ट्रपति, संसद अध्यक्ष और न्यायपालिका प्रमुख ने उस दौरान भी जनता से संवाद बनाए रखा, जबकि वे एक त्रिपक्षीय बैठक में इज़रायली हमले का निशाना भी बने थे। युद्ध की शुरुआत से ही साफ था कि ईरानी जनता नेतन्याहू के झांसे में नहीं आएगी। पहले दिन ही इज़रायली प्रधानमंत्री ने ईरानियों से कहा कि वे “उठ खड़े हों” और “अपनी आज़ादी हासिल करें” — लेकिन जनता एक ऐसे युद्ध अपराधी पर क्यों भरोसा करती जो पिछले 20 महीनों में 60,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की हत्या कर चुका है?
12 दिनों में नेतन्याहू ने ईरान में लगभग 1,000 लोगों की हत्या कर दी — जिनमें अधिकांश आम नागरिक, महिलाएं और बच्चे थे। इसका नतीजा यह हुआ कि ईरानी जनता में इज़रायल और उसके समर्थकों के लिए नफरत की लहर दौड़ गई।
इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब क़ुम में इज़रायली हमले में मारे गए 16 वर्षीय लड़के के पिता ने राष्ट्रीय टीवी पर कहा:”मैंने वो ज़मीन बेटे के भविष्य के लिए बचाई थी, अब उसे सरकार को देना चाहता हूँ। नहीं जानता कितनी मिसाइलें बनेंगी, पर चाहूंगा बस एक ही बने — और वो सीधे इज़रायल के दिल पर गिरे।”

